मैं हूँ दरभंगा का ऐतिहासिक किला लगभग 85 एकड़ जमीन के चारों ओर फैला हुआ हूँ । मेरी ऊँचाई दिल्ली के लाल किले से भी 9 फीट ऊंची है । पर नसीब अपना-अपना !
इस किले की वास्तुकारी पर फ़तेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे की झलक मिलती है । किले की दीवारों का निर्माण लाल ईंटों से हुई है । इसकी दीवार एक किलोमीटर लम्बी है । किले के मुख्य द्वार जिसे सिंहद्वार कहा जाता है पर वास्तुकला से दुर्लभ दृश्य उकेड़े गयें है । किले के भीतर दीवार के चारों ओर खाई का भी निर्माण किया गया था । उसवक्त खाई में बराबर पानी भरा रहता था । ऐसा किले और वस्तुतः राज परिवार की सुरक्षा के लिए किया गया था ।
दरभंगा राज परिसर की ऐतिहासिक किला यूँ तो कई जगह क्षतिग्रस्त दिखती हैं । कहीं दरारें तो कहीं पेड़ तक उग आए हैं दीवारों में । रामबाग इलाके के दीवार में दरार कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है । सामान्यतया यह सड़क अतिव्यस्त रहता है। सड़क के पूरब तरफ यूनिवर्सिटी गेट तो पश्चिम तरफ गंगा काम्प्लेक्स का भी अवस्थित है । इस सड़क से शहर के प्रतिनिधियों एवं तमाम पदाधिकारियों का रोजाना आना जाना होता है । वाबजूद इसके इस खतरे पर ध्यान न जाना और इसकी वैकल्पिक व्यवस्था न होना अपने आप में उदासीनता का एक बड़ा नमूना माना जा सकता है। यदि यह दीवार व्यस्तम समय में कभी गिरती है तो निश्चिय रूप से बड़ा हादसा हो सकता है जिसमे बड़ी संख्या में जानमाल का नुकसान हो सकता है ।
इस बड़ी अनदेखी से जहाँ एक तरफ ऐतिहासिक धरोहर की अनदेखी हो रही है, वहीँ आमजन के जिंदगी के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है । इसी शहर में जिला से लेकर प्रमंडल स्तर के तमाम प्रशासनिक अधिकारी रहते हैं । मेयर, विधायक, सांसद आदि तमाम प्रतिनिधि इस मुख्य मार्ग से दो चार किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं और अक्सर गुजरते हैं । इनसब के वाबजूद आमजनों के जानमाल के साथ खिलवाड़ क्यों हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल बनकर निश्चित रूप से खड़ा है।
भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने 1977-78 में इस किले का सर्वेक्षण भी कराया था, तब, इसकी ऐतिहासिक महत्वता को स्वीकार करते हुए किले की तुलना दिल्ली के लाल किले से की थी । इस अप्रतिम धरोहर को किसी भी किमत पर संरक्षित किया जाना चाहिये, सरकार को इस दिशा मे जल्द ही कुछ ठोस कदम उठाना चाहिये, नही तो यह इतिहास के पन्नो मे दफन हो जाएगी ! प्रशासनिक उदासीनता के कारण ये विरासत खत्म होने के कगार पर हैं। जनमानस को आज अपने पुराने इतिहास को बचाने की मुहिम चलानी चाहिए । ये जो राज का किला है, दिल्ली के लाल किले से कम नहीं है।
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Awsome post hai..
Its really the pride of mithila.
धन्यवाद मिश्रा जी