नया लेख

एक कवि जो रमता जोगी थे । निठट्ठ गंवार, स्थानीय येट ग्लोबल थे । हर जगह घुमें, घाट-घाट पहुंचे, सबसे मिले-सबसे जुड़े लेकिन फिर भी अपना निजी गुण नहीं छोड़ा । सच बोलने की आदत नहीं गई, सरकार सिस्टम ने जब भी अनाचार अपनाया बाबा खुलकर विरोध किए ।

जमीन बदल गई तो मायने बदल गए। मायने बदले तो चेहरा बदल गया,रहन-सहन और जीवन की शर्तें बदल गईं। वैश्विक अर्थशास्त्र की इस बाढ़ के चलते खासा बदलाव आ गया है समाज में। तो फिर कैसा पत्रकार और कैसा दिवस।

किसी अजनबी से प्रेम का हो जाना, इसकी पुष्टि करने के लिए अभी तक कोई संस्था ब्रह्माण्ड में नहीं है और न इसकी डिग्री नापने के लिए किसी भी तरह के यूनिट व् किसी प्रकार के बैरोमीटर का आविष्कार अभी तक नहीं हो पाया है फिर भी व्यक्ति अपने विवेक का उपयोग करके इस बेहद …

साहित्य

साहित्यिक गतिविधियाँ तथा पुस्तक चर्चा
Atal Bihari Vajpayee

अटल जी कहते थे, “मेरी कविता जंग का एलान है, यह पराजय की प्रस्तावना नहीं | वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते यौद्धा का जय संकल्प है, वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है |”

sailing-boat

मैं नाव के अगले माईन पर बैठा था और मेरी नजरें जलकुंभी के फूलों पर टिकी थी जो धीरे-धीरे मेरे पास आती जा रही थी । करमी के फूलों की पृष्ठभूमि में उसकी खूबसूरती और बढ़ गई थी।

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आज का विचार

मित्र वो है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं.

— अब्राहम लिंकन