शिक्षा में योग का महत्व


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वैज्ञानिक अविष्कारों के इस आधुनिक युग में जीवन को आराम मय बनाने के लिए असंख्य साधन हैं. परंतु कुछ लोग ही इस विलास सामग्री का आनंद ले पाते  हैं. यद्यपि यह बात एकदम उलटी लगती है. आईये जानते हैं योग का एतिहासिक प्रमाण क्या है, कौन हैं योगियों के वास्तविक गुरु, योग से दृढ़ता और एकाग्रता कैसे संभव है एवं योग की शिक्षा क्यों आवश्यक है.

Importance of Yoga in Education

अस्वस्थता के कारण लोग प्रारब्ध में होते हुए भी सुख की जिंदगी नहीं जीते हैं. छात्र पठन-पाठन में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं. शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक संस्कृति के रूप में योगासनों का इतिहास समय की अनंत गहराइयो में छिपा हुआ है.

योग का ऐतिहासिक प्रमाण क्या है

मानव जाति  के प्राचीनतम साहित्य वेदों में उनका उल्लेख मिलता है. वेद आध्यात्मिक ज्ञान के भंडार हैं.  इनके रचेयता अपने समय के महान अध्यात्मिक व्यक्ति थे.  कुछ लोगो का ऐसा भी विश्वास है की योग विज्ञान वेदों से भी प्राचीन हैं. ऐतिहासिक प्रमाण के आधार पर  योगासनों के प्रथम  व्य्ख्याकार महान योगी गोरखनाथ थे. 

इनके समय में योग विज्ञान लोगो में अधिक लोकप्रिय नहीं था. गोरखनाथ जी ने अपने निकटम शिष्यों को आसन सिखाये. उस काल के योगी समाज से बहूत दूर पर्वतों एवं जंगलो में रहा करते थे. वहाँ एकांत में तपस्या कर जीवन व्यतीत करते थे. उनका जीवन प्रकृति पर आश्रित था.

कौन हैं योगियों के वास्तविक गुरु !

जानवर योगियों के महान शिक्षक थे क्योंकि जानवर को किसी चिकित्सक की आवश्यकता नहीं परती है प्रकृति ही उनकी एक मात्र सहायक है. योगी, ऋषि एवं मुनियों  ने जानवरों की गतिविधियों पर ध्यान से विचार कर उनका अनुकरण किया. इस प्रकार वन के जीव-जन्तुओ के अधयन से योग की अनेक विधियों का विकास हुआ है. आज चकित्सक एवं वेज्ञानिक योग के अभ्यास की सलाह देते हैं. योग साधु संतो के लिए नहीं है समस्त मानव समुदाय के लिए आवश्यक हैं खास कर छात्र जीवन के लिए बहूत ही आवश्यक है.

योग से दृढ़ता एवं एकाग्रता कैसे संभव है

आज कल छात्रों में पठन – पाठन के प्रति उदासीनता देखी जाती है. उनका मूल कारण उनका स्वस्थ ही है, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ शिक्षा का निवास सम्भव है. यह योग से ही संभव है. योग से उसके सारे शरीर के रोगों का निदान होगा. योग का तात्पर्य शरीर को बलशाली बनाना नहीं है. बल्कि उसके मन मस्तिष्क को उसके कार्य के प्रति जागरूक करना है. योग से अस्वस्थ शरीर को सक्रिय एवं रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है. यह मन को शक्तिशाली बनता है एवं दुःख दर्द सहन करने की शक्ति प्रदान करता है. दृढ़ता एवं एकाग्रता को शक्ति प्रदान करता है.

योग के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क शक्तिशाली एवं संतुलन बना रहता है. बिना विचलित हुए आप शांत मन से संसार के दुःख चिंताओं एवं समस्याओँ का सामना कर सकेंगे. कठनईयां पूर्ण मानसिक स्वस्थ हेतु सीढियाँ बन जाती है. योग का अभ्यास व्यक्ति के शुप्त शक्तियों को जागृत करता है और उनमें आत्मविश्वास भरता है. व्यवहार तथा कार्यो से वह दूसरों को प्रेरणा देने लगता है.

योग की शिक्षा क्यों आवश्यक है

शिक्षा जगत में योग की शिक्षा बहूत ही आवश्यक है क्योंकि आज के वर्तमान परिवेश में ज्यादातर छात्र एवं छात्राएं शारीरिक, मानसिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं. जिनके कारण उनमें शिक्षा का विकास जितना होना चाहिए. उतना नहीं हो पा रहा है.

फलतः वो लोग अपनी मंजिल तक पहुंचने में असफल हो जाते हैं यदि उन्हें जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति करनी है तो योग का अभ्यास आवश्यक है. सामाजिक जीवन में जो नीरस एवं निर्जीव जीवन व्यतीत करते हैं उन्हें भी योग का सहारा लेना चाहिए. खासकर छात्र योग के बल पर अपने मस्तिष्क को शुद्ध  करके विचार शक्ति को बढ़ा सकते हैं.

अक्सर देखा जाता है की जीवन के निर्माण के समय छात्र मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं जो कभी उनके लिए लाभकारी नहीं हो सकता है.  योग के नियमित अभ्यास से उनसे छुटकारा मिल सकता है. योग उन्हें अंतिम लक्ष्य तक ले जायेगा इसके परे कोई लक्ष्य नहीं है.

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2 Comments

  1. nagendra
    June 30, 2016
    Reply

    Yoga sa sab Hoga…

    Well said/written sir ji..
    SPLENDID WORK

  2. July 5, 2016
    Reply

    धन्यवाद् महोदय

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