फुटपाथ पर शिक्षा का अलख जगा रहे हैं पटना के अमन


बिहार की राजधानी पटना के बोरिंग रोड स्थित फुटपाथ कुछ युवकों के प्रयास से सूरज डूबने के बाद जगमगा उठते हैं. राजधानी के कुछ यूथ रोड के फुटपाथ पर मोबाइल की धीमी रौशनी में गरीबो के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे है. ये युवा अपने ऑफिस और कॉलेज के बाद मिले समय को सदुपयोग कुछ इस तरह कर रहे है कि इन युवाओं के मुहीम को कई आईपीएस अधिकारियो ने भी सराहा है और मदद भी करने का आश्वासन दिया है. अधिकारी, पदाधिकारी से लेकर आम लोग सभी इस मुहीम की जमकर तारीफ़ कर रहे हैं.

कैसे हुई इसकी शुरुआत

पटना के सहदेव महतो मार्ग – बोरिंग रोड के फुटपाथ पर लगने वाली इस क्लास की शुरुआत अमन और उनके दोस्तों ने की. अमन एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. काम करते हुए दोस्तों के साथ अक्सर वह बोरिंग रोड हरिलाल स्वीट्स के पास ऑफिस की छुट्टी के बाद चाय की दूकान पर चाय पीने के लिए जाया करते थे. जहां हर दिन कुछ बच्चे हाथ में बैलून लेकर उनसे बैलून खरीदने की जिद्द करते. खाना खाने के लिए पैसे मांगते. ऐसा कई दिनों से चला आ रहा था. एक दिन अमन के पास रेशम नाम की एक बच्ची आई, जिसनें अमन से बैलून खरीदने के लिए कहा. अमन ने उससे बात की.

अमन ने रेशम से कहा कि पढ़ाई नहीं करती हो ? अमन के इस सवाल पर रेशम ने बताया कि कोई पढ़ाता ही नहीं है और पैसे भी नहीं है. रेशम के इस जवाब पर अमन ने कहा ABCD आती है ? रेशम हां ना कहे बिना धड़ाधड़ ABCD पढ़ने लगी. यह देखकर अमन ने रेशम से कहा मैं पढ़ाउंगा तो पढ़ोगी ? इस पर रेशम खुश होकर बोली हां. अमन ने उस दिन रेशम से बैलून भी खरीदी और घर विदा कर दिया इस वादे के साथ कि कल तुम यही आओगी शाम में कॉपी किताब लेकर. अगले दिन अमन और उसके दोस्त संयम बांकी दिनों के अपेक्षा चाय दूकान पर पहले पहुंचकर रेशम का इंतज़ार करने लगा. रेशम कुछ देर बाद उस चाय दूकान के पास पहुंची. रेशम के एक हाथ में बैलून थे और पीठ पर फटी हुई बैग में कुछ कॉपी और किताबें. अमन वहीं चाय दूकान के पास फुटपाथ पर अपने दोस्त संयम के साथ रेशम को पढ़ाने लगा.

शुरूआती दिनों की क्लास

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शाम ढलान पर था ऐसे में फुटपाथ पर रौशनी कम थी तो अमन और उसके दोस्त संयम ने मोबाइल के फ़्लैशलाइट में रेशम को उस दिन पढ़ाया. रेशम काफी खुश थी. उस दिन पढ़ाई खत्म करने के बाद रेशम ने जाते-जाते अमन से कहा… भैया मेरे घर के पास और भी मेरे भाई बहन हैं उनको भी पढ़ाईयेगा ? अमन ने कहा हां क्यों नहीं. तुम सबको रोज यहीं, इसी समय लेकर आना. रेशम के साथ अगले दिन बच्चों का आंकड़ा 1 से बढ़कर 2 हुआ तो एक सप्ताह में अमन के पास 15 से अधिक बच्चे पढ़ने के लिए आने लगे. यह वही बच्चे थे जो बोरिंग रोड के एसके पूरी पार्क, हरिलाल स्वीट्स के पास कोई गुब्बारा बेचता था, तो कोई कूड़ा बीनने का काम करता था. आज अमन के पास 50 से अधिक बच्चे हैं जो रोज पढ़ने के लिए आते हैं. पटना के फुटपाथ पर हर शाम पांच बजे से सात बजे तक यह क्लास लगती है जहां फुटपाथ पर चटाई बिछाकर बच्चे लैंप की रौशनी में पढ़ाई करते हैं. पढ़ाई के बाद सभी बच्चों को अमन और उनके दोस्त अनुशासित ढंग से सभी को सड़क को पार करते हैं. बच्चों के चले जाने के बाद ये सभी चटाई और लैंप को समेटकर बैग या झोले में रखते हैं और साथ लेकर अपने घर चले जाते हैं. अमन और इनके दोस्तों के इस प्रयास के बारे में जो भी सुन रहा है, सराहना कर रहा है.

बच्चों को पढ़ाई के बाद रोड पार करवाते हुए

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शाम 5 बजे से 7 बजे तक चलने वाली इस क्लास की शुरुआत 4 महीने पहले हुआ था. पटना के युवा अमन और उनके दोस्त संयम, प्रीती, प्रज्ञा, सूरज, पंकज, शिवम और गरिमा सहित कई स्वयंसेवी टीम बनाकर इन बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. दोस्त संयम के साथ अमन ने इस मुहीम की शुरुआत की थी. आज यह प्रयास एक टीम का रूप ले चुका है. अमन और उनके दोस्त संयम, प्रीती, प्रज्ञा, सूरज, पंकज, शिवम और गरिमा सहित सभी लोग मिलकर बच्चों को पढ़ाते हैं, साथ हीं कलम किताब जैसी जरूरतों को अपने तनख्वाह से पूरी करते हैं. सबसे ख़ास बात यह भी है कि जिस तरह से फुटपाथ की इस क्लास में बच्चों की संख्या बढ़ रही है उसी तरह यहां आकर पढ़ाने वाले भी बढ़ रहे हैं.

फूटपाथ पर चल रही क्लास 

सोशल मीडिया के माध्यम से जब मुहीम का प्रसार हुआ तो लोग यहां खींचे चले आ रहे हैं. लोग इन बच्चों के साथ अपना जन्मदिन मनाते हैं. आम लोग भी मदद के लिए भी आगे आ रहे हैं. यह टीम बच्चों को हर संभव जरुरी की चीजें मुहैया करा रही है, भले वह पढ़ाई का सामान हो, कपड़े हो, चप्पल हो या किसी त्यौहार पर सेलिब्रेशन करना हो. यह सब यहां होता है. सोशल मीडिया में इस क्लास की तस्वीरें सामने आने के बाद कई प्राइवेट स्कूल, कॉलेज के बच्चे इलेक्ट्रिक लैंप लेकर सहयोग में देने के लिए पहुंचते हैं. अमन कहते हैं कि इससे बड़ा सहयोग कुछ नहीं हो सकता है. लोग वह रौशनी मुहैया करवा रहे हैं जिस रौशनी में शायद इन बच्चों का भविष्य संवर जाए, बांकी हम लोग तो एक माध्यम हैं. बता दें कि यहां आकर पढ़ाने वालों में कई प्राइवेट तो कई सरकारी कर्मी भी हैं. इसके अलावे कई पटना यूनिवर्सिटी के छात्र हैं जो समय निकालकर अक्सर यहां आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं.

लैंप व कॉपी कलम का सहयोग 

अमन और उनके दोस्त अपने इस मुहीम को सोशल मीडिया के माध्यम से भी जमाने के सामने ला रहे हैं. फ़्लैशलाइट की रौशनी में फुटपाथ पर पढ़ाई की शुरुआत कर शुरू हुई इस मुहीम को Flashlight Initiative का नाम देकर इससे जुड़ी जानकरियां फेसबुक पेज, ग्रुप, यू ट्यूब पर भी दी जा रही है. इन सोशल मीडिया अकाउंट्स पर क्लास के बारे में जानकारी दी जाती है. अक्सर त्योहारों के सेलिब्रेशन, जन्मदिन, स्वयंसेवियों द्वारा कोई मदद लेकर पहुंचते हैं तो उसकी तस्वीरें साझा की जाती है.

होली में बच्चों के साथ जश्न

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अमन पटना के कंकड़बाग़ मोहल्ले के रहने वाले हैं. अमन बताते हैं कि हमलोगों में से किसी का जन्मदिन होता है तो इन्हीं बच्चों के बीच सेंलीब्रेट करते है. वहीं आईजीआईएमएस से बीपीटी कर रही रानी ने अपने जन्मदिन की यादें साझा करते हुआ बताती है कि मैनें अपना जन्मदिन इन बच्चों के साथ मनाया है. इससे मुझे काफी संतुष्टि मिली है, खास कर गरीब बच्चों को पढ़ाने में. मैं चाहती हूं कल को इन्हें कोई अनपढ़ ना कहे, कोई इन्हें जाहिल कहकर ना पुकारे. ये भी पढ़ लिखकर अपने मां-बाप का नाम रौशन करें. विवेकानंद मार्ग स्थित एक गर्ल्स हॉस्टल मे रहकर बीपीएससी की तैयारी कर रही प्रीती ने कहा कि मैं जब इन बच्चों के बीच पढाने बैठती हूं तो आत्मा को कुछ अलग अनुभव होता है. मैं वैसे लोगों से अपील करती हूं की जो अपना समय ऐसे वैसे काम में जाया करते है एक बार इन बच्चों के बीच बैठेंगे तो आप अलग तरह के संतुष्टि का अनुभव करेंगे.

बच्चों की चित्रकला

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बच्चों को पढ़ाने वाली प्रज्ञा बताती हैं कि शुरू में हम सभी दोस्तों ने मिलकर चटाई और बैट्री से संचालित होने वाले टेबुल लैंप खरीदे, किताबें और पेंसिल खरीदे. लेकिन अब इस कार्य में स्थानीय लोगों का भी खूब समर्थन मिल रहा है. कई लोग यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए जरूरी संसाधान की आपूर्ती करवा रहे हैं. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के चेहरों पर पढ़ाई की खुशी साफ झलकती है. यहां पढ़ने वाले प्रिंस कहते हैं कि हम जब दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देखते थे तो हमें भी लगता कि काश हम भी पढ़ पाते. आज हमारी पीठ पर भी स्कूल बैग होता है और हम भी यहां बैठ पढ़ाई करते हैं. प्रिंस आगे कहता है कि वह दिन भर परिवार की गाड़ी खींचने के लिए कुछ काम किया करता है. पर उसका सपना डॉक्टर बनने का है, जिससे वह लोगों की मदद कर सके. इन युवाओं के कार्य की तारीफ़ एटीएस के डीआईजी विकास वैभव, पी.के.दास, संजय अग्रवाल भी कर चुके हैं.

फूटपाथ पर क्लास

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अमन और उसके दोस्तों के इस प्रयास का कारण बनीं रेशम जो कि इस क्लास की पहली छात्रा है, उससे जब पूछा गया कि तुम पढ़कर क्या बनना चाहती हो ? तो जवाब आया हवाई जवाज उड़ाना है. यह सुनते ही सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई. सभी की चेहरे पर मुस्कान देख रेशम शरमा कर कॉपी से अपना चेहरा ढंक ली.

बातचीत के दौरान इस मुहीम को चला रहे फ़्लैशलाइट इनिशिएटिव के सदस्य संयम ने बताया कि फिलहाल कोरोना वायरस को लेकर बिहार सरकार के आदेश के बाद इस क्लास को 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है. बच्चों को कोरोना वायरस के बारे में भी जानकारी दी गई है. सरकार के आदेश के बाद फिर से अपने समय पर यह क्लास चलती रहेगी.

बिहार के ऐसे युवाओं को सलाम है.


आलेख साभार : B J बिकाश 

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1 Comment

  1. प्रियंका मिश्रा
    March 16, 2020
    Reply

    प्रेरक
    धन्यवाद विचार बिंदु ऐसे प्रेरणादायक कहानी साझा करने के लिए ।

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