समीक्षा
बोए जाते हैं बेटे, उग जाती है बेटियाँ
“बोए जाते हैं बेटे, उग जाती है बेटियाँ”, विचार बिंदु के इस अंक में प्रस्तुत है दिल्ली विश्व-विद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रहीं रचना झा का आलेख “बेटियाँ” ।
बाबा विद्यापति और इनकी एक रचना- जय जय भैरवी ।
एक रचनाकार अपने जीवन काल मे अनगिनत रचना करता है । जिसमे से मात्र कुछ ही रचना लोकप्रिय हो पाती है और साथ ही रचनाकार को प्रसिद्धि दिला पाती है , अपवाद स्वरूप मात्र कुछ ही ऐसे रचनाकार है जिन्होने मात्र कुछ रचना की और उसी से प्रसिद्ध हुए ।
मेरे भीतर का “बुद्ध”
बुद्ध पूर्णिमा था और संयोग से कुशीनगर से गुजर रहे थे । इसी दिन गौतम बुद्ध कुशीनगर में महानिर्वाण प्राप्त किये थे । वहाँ मेला लगा हुआ था पर फिर भी हर जगह शांति थी । ज्यादा देर रहना नहीं हुआ पर आगे के पूरे रास्ते बुद्ध के बारे में सोचता आया.
देश का ये चुप्पी वाला एटीट्यूड घातक है भाई
लगभग पच्चीस साल पहले किसी पत्रिका में पढ़ा था, एक बहुत ही शक्तिशाली, बाहुबली योद्धा था । उसके पड़ोस में एक दुबला-पतला, फुर्तीला आदमी रहता था । दोनों के बीच
आधुनिक लोग और उनकी “छि:” वाली सोच !
हम कहते हैं हम मॉडर्न हो रहें हैं, विकास कर रहें हैं, सच में ! क्या आपने शरीर के बारे में जाना, ये जाना कि हमारा शारीरिक तन्त्र ( system ) कैसे काम करता है ?
बुढ़िया, हँसुआ, घास और विकास
दोपहर बीत चुकी है । फागुन की ठंडी हवाओं ने कब करवट ली और चैत्र मास के लूँ के थपेड़ों ने मन को विचलित करना शुरू कर दिया यह पता ही नहीं चला । दलान से…
मैथिली बोलतें हैं शान से
मैं भी एक मैथिल हूँ । मातृभाषा मैथिली है । कहते हैं दुनिया की सबसे मीठी भाषा है, लेकिन 21वीं सदी में मुझे भी अपनी मातृभाषा बोलने में गर्व महसूस नहीं होता तो हमने भी हिंदी और अंग्रेजी को अपना लिया । सोचा था..
’गाँव-गरीब-दलित-महादलित-किसान-मजदूर-अल्पसंख्यक-हिन्दू-मुसलमान’
“किडनी पर ज्यादा लोड मत लो राजू…..मैंने पहले ही समझाया था….शहर छोड़कर गाँव मत आओ…जब-तक सूट-बूट में हो तभी तक सरकार है, हमारी तरह लुंगी-गंजी-कुदाल से पहचान होगी तो सिर्फ सरकारी जुबान में रहोगे…’
एक किसान की जिंदगी- खलिहान से लाइव
एक किसान दम्पति सुबह ४ बजे उठते हैं, नित्य-क्रिया से निवृत झाड़ू उठाकर मवेशी को बाहर निकालकर बाँधने के लिए सफाई शुरू कर देते हैं ।
क्रांति कोई डिनर पार्टी नहीं है ।
मुझे इस दुनिया में हो रहे कई चीज गलत लग जाती है । समकालीन मुद्दे पे तपाक से राय नहीं बना पता । मैं एकतरफा नहीं हो पता किसी भी मुद्दे पे । कुछ दिनों पहले……