साहित्य
बचपन का भोलापन और पापा का डर
सब कुछ सही था. हम अपने धुन में खोये हुए जयपुर के प्रसिद्ध किले को देखने जा रहे थे. रास्ते में बाइक पर पीछे बैठ कर जल महल को देखने का आनंद कुछ अलग ही तरीके का होता है, तो मैं उस आनंद के सागर में गोते लगा रहा था. गुलाबी सर्दी पुरे….
हवालात के अन्दर से-अविनाश
सामाजिक कार्य करते हुए अगर आपको पुलिस पकड़ कर हवालात में बंद करती है, और हवालात के बाहर कोई आपके समर्थन में नहीं दिखता है तो ये कमी
पांडव का संदेश – रामधारी सिंह दिनकर
प्रिय पाठकों प्रस्तुत है रामधारी सिंह “दिनकर” की प्रसिद्ध रचना…….. “वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर।
बाबाक संस्कार – हरिमोहन झा
श्री हरिमोहन झा की रचना जो मैथली में है । ( बाबाक संस्कार ) मैथली साहित्य की अत्यंत प्रचलित रचना है । जिसमें समाज का वास्तविक स्वरूप को प्रतिबिम्बित कर व्यंग किया गया है । पढिये इस कथा का हिंदी अनुवाद !
महाकवि विद्यापति ठाकुर
मैथली कवि कोकिल विद्यापति ठाकुर का जन्म 1360 ई० में बिहार के मधुबनी जिला के बिसपी ग्राम में हुआ. श्रृंगार और भक्ति रस के कविता
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
पढिये दुष्यंत कुमार की लोकप्रिय प्रेरणात्मक कविताएँ “हो गई है पीर- पर्वत सी / कुछ भी बन बस, कायर मत बन / और ये जो शहतीर है“
मशहुर शायरियाँ और शायर
प्रिय पाठकों प्रस्तुत है, दुनियां के मशहुर शायरों की प्रेरणात्मक शायरियाँ …जिनमें मिर्ज़ा ग़ालिब, मोहम्मद इक़बाल, अकबर इलाहाबादी, मुनव्वर राणा, बशीर बद्र, अहमद फ़राज, जौहर, अख्तर अंसारी, बहज़ाद लखनवी, फ़िराक, गुलज़ार…इत्यादि शायरों की शायरियाँ….
कविता – नेताजी सुभाषचंद्र बोस
महान स्वतंत्रता सेनानी, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है, जय हिन्द के घोष करने वाले, ऐसे महापुरुष नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित एक कविता.
संत कबीरदास के दोहें
मानव जीवन के वास्तविकताओं से पूर्ण संत कबीरदास जी के दोहे और उसका अनुवाद . हिंदी साहित्य में अपना विशिष्ट स्थान
कवि सुमित्रानंदन पंथ की कविताएँ
हिंदी साहित्य के छायावाद, रहस्यवाद एवं प्रगतिवादी कवि “सुमित्रानंदन पंथ” का जन्म 20 मई 1900, एवं अवसान 28 दिसम्बर 1977 को हो गया.