साहित्य
बाबा विद्यापति और इनकी एक रचना- जय जय भैरवी ।
एक रचनाकार अपने जीवन काल मे अनगिनत रचना करता है । जिसमे से मात्र कुछ ही रचना लोकप्रिय हो पाती है और साथ ही रचनाकार को प्रसिद्धि दिला पाती है , अपवाद स्वरूप मात्र कुछ ही ऐसे रचनाकार है जिन्होने मात्र कुछ रचना की और उसी से प्रसिद्ध हुए ।
बाबा नागार्जुन की कविताएँ
प्रस्तुत है, वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” यानी बाबा नागार्जुन की कविताएँ बादल को घिरते देखा है, कालिदास! सच-सच बतलाना !, बांकी बच गया अंडा, इन घुच्ची आँखों में, अकाल और उसके बाद ।
कवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रेरणात्मक कविताएँ
कवि मैथिलीशरण गुप्त की कुछ प्रेरणात्मक कविताएँ/ कालजयी रचना जो हमें प्रेरणा देता है । आईये पढ़ें कविता ( “नर हो, न निराश करो मन को” एवं “मनुष्यता” )
सुख की छाया तू दुख के जंगल में !
मातृ दिवस विशेषांक में कवि, लेखक व पूर्व आईपीएस अधिकारी “ध्रुव गुप्त” जी का आलेख “सुख की छाया तू दुख के जंगल में !”
मेरे भीतर का “बुद्ध”
बुद्ध पूर्णिमा था और संयोग से कुशीनगर से गुजर रहे थे । इसी दिन गौतम बुद्ध कुशीनगर में महानिर्वाण प्राप्त किये थे । वहाँ मेला लगा हुआ था पर फिर भी हर जगह शांति थी । ज्यादा देर रहना नहीं हुआ पर आगे के पूरे रास्ते बुद्ध के बारे में सोचता आया.
देश का ये चुप्पी वाला एटीट्यूड घातक है भाई
लगभग पच्चीस साल पहले किसी पत्रिका में पढ़ा था, एक बहुत ही शक्तिशाली, बाहुबली योद्धा था । उसके पड़ोस में एक दुबला-पतला, फुर्तीला आदमी रहता था । दोनों के बीच
कई बार ‘बियॉन्ड दी लिमिट’ सोच जाता हूँ
यूँ ही सोचते रहने की आदत है सो सोचते रहते हैं हम ! हालाँकि इस चक्कर में सर के बाल भी साथ छोड़ गए. घर परिवार वाले भी बस मजबूरीवश साथ हैं, वरना तो इस सोचते रहने की आदत की वजह से कई बार ये भी भूल जाता हूँ की मैं भाई, दोस्त, पिता, पति …
आधुनिक लोग और उनकी “छि:” वाली सोच !
हम कहते हैं हम मॉडर्न हो रहें हैं, विकास कर रहें हैं, सच में ! क्या आपने शरीर के बारे में जाना, ये जाना कि हमारा शारीरिक तन्त्र ( system ) कैसे काम करता है ?
मजदूर दिवस या मजबूर दिवस !
देखिये मई महीने की पहली तारीख़ को मजदूर दिवस हम-आप मनाते आ रहें है और मनाएंगे भी आप मजदूर हैं की मजबूर वो तो हम नहीं जानते परन्तु ये जो हम लिख रहें हैं वो मजबूरी में लिखा गया हकीकत है ..पढियेगा तो अपच नहीं करेगा !
कविता – जुवेनाइल मुहब्बत
समय की करवटों ने बहुत कुछ बदला है । लड़के अब ड्यूड और लड़कियाँ बेब्स कही जाने लगीं हैं । पॉकेट मनी सीसीडी और पब को नशीब हो रहा है । खतों की सिसकियाँ रिंगटोन में बजने लगी है । हर जगह..