विविध

मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” की कुछ जीवंत रचनाएँ
उर्दू के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर, उनकी कुछ जीवंत रचनाएँ । इनका जन्म – 27 दिसंबर, 1796 ( आगरा, उत्तर प्रदेश ) एवं अवसान – 15 फरवरी, 1869 ( दिल्ली ) में हुआ ।

IQ तथा EQ का संतुलन आवश्यक है
IQ” word जर्मन शब्द Intelligenz-Quotient से निकला है जिसका पहली बार use जर्मन Psychologist विलियम स्टर्न ने 1912 मे किया.

कुछ बातें जो स्मार्ट लोगो को पता होना चहिये
शांतिपूर्वक जीवन जीने के लिए ऐसी कई बातें हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए । आईये Vichar Bindu के इस कंटेंट में जानते हैं “कुछ बातें जो स्मार्ट लोगो को पता होना चहिये “

हे हंसवाहिनी से गजबे कमर लचके तक
हमारे समाज मे सभ्य लोगों का एक ऐसा भी समूह होता है जो बरसाती बेंग की तरह केवल दूर्गा पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा के अवसर पर ही दृष्टिगोचर होते हैं । इन भक्तों का पहला काम होता है हफ्ता वसूलने के स्टाइल में चंदा वसूलना ।

पुस्तकालय और प्रेरणादायक समाज
राष्ट्रीय राजमार्ग 57 मुसलसल चलती ट्रकों और बसों की धमक और शोर से हिलता एक मकान और उस मकान में अपने अपने किताबों में मशरूफ लोग, मानो उस धमक और शोर के वजूद को धता बता रहे हों । ये तस्वीर है यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय की, और ये अवस्थित है झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से 10 …

मैं हूँ दरभंगा का ऐतिहासिक किला
मैं हूँ दरभंगा का ऐतिहासिक किला लगभग 85 एकड़ जमीन के चारों ओर फैला हुआ हूँ । मेरी ऊँचाई दिल्ली के लाल किले से भी 9 फीट ऊंची है । पर नसीब अपना-अपना !

मेरा चेहरा भी है, ज़ुबान भी है !
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि लकड़ी की बनी कोई मूर्ति ग्यारह हज़ार साल तक सही-सलामत रह सकती है ? लकड़ी की बनी ऐसी ही एक मूर्ति सवा सौ साल पहले साइबेरियाई पीट बोग के शिगीर में मिली थी जिसे आरंभिक जांच के बाद साढ़े नौ हज़ार साल पुराना घोषित किया गया था।

मन में उमड़ता यादों का सावन
डायरी के पन्नों से – ‘मन में उमड़ता यादों का सावन’, विश्व साहित्य से लेकर अपने लोक भाषा के साहित्य में रूचि रखने वाले बालमुकुन्द एक समीक्षक, आलोचक, कवि एवं प्रेम से भींगे हुए इंसान हैं । और ये इंसान जब कभी प्रेम की बात लिखता है तो लगता है कि कहानी का सारा किरदार बिखरकर …

बादल बारिश और बेपरवाह
आज सुबह से ही मौसम काफ़ी अच्छा था, घर से ऑफिस के लिए अभी निकला ही था कि बारिश शुरू हो गयी, सामने एक मकान था तो फटफटिया खड़ा कर छज्जे के नीचें शरण लिया, काफ़ी देर तक

बहस ! एक चाय वाले से तीन रूपया के लिए
ऊपर वाले बर्थ पर लेटा हुआ था । चाय बेचने वाला आया और मैंने एक चाय की आर्डर कर दी । पिछले एक साल से रेलवे में सफ़र करते हुए 10 रूपया का नोट निकाल कर देने की आदत हो गयी थी तो दे दिया । फिर..