नया लेख

विश्वविख्यात साहित्यकार, चित्रकार, दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री रवीन्द्रनाथ टैगोर हमारे देश के एक गोरवशाली वक्तित्व, इनका जन्म 7 मई सन 1861 को कोलकाता में हुआ.

गर्मी की छुट्टी में मैं अपने फुआ के यहाँ गया हुआ था. उस समय दुसरे शहर से मेरी फुआ की हमउम्र एक रिलेटिव आई थी.

जीवन में ऐसी बहूत सारी परिस्थितियां आती हैं, जब हम खुद को लेकर अनिश्चित हो जाते हैं. इस अनिश्चितता से निकलने के लिए इन बातों को ध्यान में रखिए.

साहित्य

साहित्यिक गतिविधियाँ तथा पुस्तक चर्चा
Atal Bihari Vajpayee

अटल जी कहते थे, “मेरी कविता जंग का एलान है, यह पराजय की प्रस्तावना नहीं | वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते यौद्धा का जय संकल्प है, वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है |”

sailing-boat

मैं नाव के अगले माईन पर बैठा था और मेरी नजरें जलकुंभी के फूलों पर टिकी थी जो धीरे-धीरे मेरे पास आती जा रही थी । करमी के फूलों की पृष्ठभूमि में उसकी खूबसूरती और बढ़ गई थी।

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आज का विचार

जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता.

— अल्बर्ट आइंस्टीन