नया लेख

इस आलेख में, हिंदी मैथिली के प्रखर युवा कवि विकास वत्सनाभ छात्र आन्दोलन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान और भविष्य के सामंजस्य का साधारण बोध करवाते हुए प्रतीत होते हैं । पढिये एक स्पष्ट चिंतन पर आधारित यह आलेख “एक नहीं अनेक लड़ाइयाँ समाहित हैं”

यह घटना उस समय की है जब स्वतंत्रता आंदोलन ज़ोर पकड़ चुका था । गांधी जी घूमकर या सभा बुलाकर लोगों को स्वराज और अहिंसा का संदेश देते थे । एक बार उन्हें एक सभा मे उपस्थित होने का आमंत्रण मिला ।

सोशलिज्म कितना खूनी हो सकता है ? पूंजीवाद कितना खूनी हो सकता है ? किसी देश के इतिहास का एक ऐसा कालखंड जब विभिन्न विचारधाराओं के एक के बाद एक इम्प्लीमेंटेशन ने  ३० लाख  (कुल आबादी का २१%) लोग मार दिए ।   कुछ आंकड़ों पर नज़र डालें।  कम्बोडिया को फ्रेंच उपनिवेशवाद से १९५३ में आजादी …

साहित्य

साहित्यिक गतिविधियाँ तथा पुस्तक चर्चा
Atal Bihari Vajpayee

अटल जी कहते थे, “मेरी कविता जंग का एलान है, यह पराजय की प्रस्तावना नहीं | वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते यौद्धा का जय संकल्प है, वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है |”

sailing-boat

मैं नाव के अगले माईन पर बैठा था और मेरी नजरें जलकुंभी के फूलों पर टिकी थी जो धीरे-धीरे मेरे पास आती जा रही थी । करमी के फूलों की पृष्ठभूमि में उसकी खूबसूरती और बढ़ गई थी।

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आज का विचार

मित्र वो है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं.

— अब्राहम लिंकन