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हमें काश तुमसे मुहब्बत न होती !
जिनके ज़िक्र के बगैर हिंदी सिनेमा का इतिहास नहीं लिखा जा सकेगा। प्रेम की शाश्वत प्यास की प्रतीक मरहूम मधुबाला को उनके यौमे पैदाईश (14 फरवरी) पर उनके व्यक्तिगत जीवन पर केंद्रित आलेख । लेखक : पूर्व आई० पी० एस० पदाधिकारी, कवि : ध्रुव गुप्त
क्योंकि हमारे भीतर का बच्चा कहता है कि “सब मनोरथ बाबा के भरोसे”
महाशिवरात्रि मनाया जा रहा है । गाँव से शहर तक ! यहाँ जो भी लड़के व्रत करते दिख रहे हैं, वो भी हमारे इधर (गाँव) के ही हैं । एकदम ना के बराबर लड़के पटना से हैं जो व्रत कर रहे हैं । हाँ, सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही है कि इस शहर के कुछ …
पटना के बालकनी से
दिल्ली एक प्यारा सा छत था, तो पटना में बालकनी । बस यही अंतर आया है मेरे जीवन में 1000 किलोमीटर की दूरियाँ बढने के बाबजूद ।