Analysis / समीक्षा

शशि कपूर / कहीं कुछ अनकहा !
हम शशि कपूर को आमतौर पर पृथ्वी राज कपूर के बेटे और राज कपूर के भाई के तौर पर ही जानते हैं जो अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि की वजह से फिल्मों में आए और अपनी प्यारी शख्सियत और भोली अदाओं की वजह से तीन दशकों तक हिंदी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय नायकों में एक बने रहे।

बिहार में बाढ़ का कहर- मुद्दा, स्वरुप और समाधान
रात को पानी की आवाज़ बहुत भयानक होती है, दूर कहीं चर-चाँचर में पानी गिरने की आवाज़, कुत्ते-बिल्लियों के क्रंदन और खूटें पर बंधे मवेशी की छटपटाहट बहुत डरावनी होती है | बाढ़ का स्वरुप विकराल होता है |

बोए जाते हैं बेटे, उग जाती है बेटियाँ
“बोए जाते हैं बेटे, उग जाती है बेटियाँ”, विचार बिंदु के इस अंक में प्रस्तुत है दिल्ली विश्व-विद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर कर रहीं रचना झा का आलेख “बेटियाँ” ।

बाबा विद्यापति और इनकी एक रचना- जय जय भैरवी ।
एक रचनाकार अपने जीवन काल मे अनगिनत रचना करता है । जिसमे से मात्र कुछ ही रचना लोकप्रिय हो पाती है और साथ ही रचनाकार को प्रसिद्धि दिला पाती है , अपवाद स्वरूप मात्र कुछ ही ऐसे रचनाकार है जिन्होने मात्र कुछ रचना की और उसी से प्रसिद्ध हुए ।

बुढ़िया, हँसुआ, घास और विकास
दोपहर बीत चुकी है । फागुन की ठंडी हवाओं ने कब करवट ली और चैत्र मास के लूँ के थपेड़ों ने मन को विचलित करना शुरू कर दिया यह पता ही नहीं चला । दलान से…

मैथिली बोलतें हैं शान से
मैं भी एक मैथिल हूँ । मातृभाषा मैथिली है । कहते हैं दुनिया की सबसे मीठी भाषा है, लेकिन 21वीं सदी में मुझे भी अपनी मातृभाषा बोलने में गर्व महसूस नहीं होता तो हमने भी हिंदी और अंग्रेजी को अपना लिया । सोचा था..

’गाँव-गरीब-दलित-महादलित-किसान-मजदूर-अल्पसंख्यक-हिन्दू-मुसलमान’
“किडनी पर ज्यादा लोड मत लो राजू…..मैंने पहले ही समझाया था….शहर छोड़कर गाँव मत आओ…जब-तक सूट-बूट में हो तभी तक सरकार है, हमारी तरह लुंगी-गंजी-कुदाल से पहचान होगी तो सिर्फ सरकारी जुबान में रहोगे…’

एक किसान की जिंदगी- खलिहान से लाइव
एक किसान दम्पति सुबह ४ बजे उठते हैं, नित्य-क्रिया से निवृत झाड़ू उठाकर मवेशी को बाहर निकालकर बाँधने के लिए सफाई शुरू कर देते हैं ।

क्रांति कोई डिनर पार्टी नहीं है ।
मुझे इस दुनिया में हो रहे कई चीज गलत लग जाती है । समकालीन मुद्दे पे तपाक से राय नहीं बना पता । मैं एकतरफा नहीं हो पता किसी भी मुद्दे पे । कुछ दिनों पहले……

इतिहास के गर्भ में मिथिला
पुरातात्विक अवशेषों का अन्वेषण, विश्लेषण में पूरा पाषाण काल, मध्यकाल अथवा नव पाषाण काल के कई अवशेष जो अभी तक प्रकाश में नहीं आये हैं उनमें से एक है बलिराजगढ़ .. प्रस्तुत है इस विषय पर सत्यम कुमार झा का संक्षिप्त आलेख ।