शहर को भी खूबसूरत, गाँव के लोग ही बनाते हैं !
शहर में कोलाहल बढ़ गयी है और गर्मी भी। ये लोगों को तंग कर रही है । रात से ज्यादे दिन सुनसान हो रहे हैं । लोग स्विचों की हवा चाह रहे हैं । बन्द कमरे भर रहना चाह रहे हैं ।
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” की कुछ जीवंत रचनाएँ
उर्दू के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर, उनकी कुछ जीवंत रचनाएँ । इनका जन्म – 27 दिसंबर, 1796 ( आगरा, उत्तर प्रदेश ) एवं अवसान – 15 फरवरी, 1869 ( दिल्ली ) में हुआ ।
क्योंकि हमारे भीतर का बच्चा कहता है कि “सब मनोरथ बाबा के भरोसे”
महाशिवरात्रि मनाया जा रहा है । गाँव से शहर तक ! यहाँ जो भी लड़के व्रत करते दिख रहे हैं, वो भी हमारे इधर (गाँव) के ही हैं । एकदम ना के बराबर लड़के पटना से हैं जो व्रत कर रहे हैं । हाँ, सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही है कि इस शहर के कुछ …
26 जुलाई – कारगिल स्मृति दिवस
भारत का वो हिस्सा जो कभी ज्यादा लाइम-लाइट में नहीं रहा था । एक ऐसा जगह जिसे न पूरा भारत जानता था और न कभी अखबारों में सुर्खियों बनकर आया । वो जगह है कारगिल ।
सुबह सवेरे कैसे उठें ?
सुबह सवेरे उठने के लिये हम पूरी कोशिश करतें हैं लेकिन कहाँ हो पाता है वो भी आज के दौर में जहाँ रात-रात तक जग कर Internet, Facebook एवं Whatsapp
योग का महत्व / Importance of Yoga
विश्वभर में योग पर लोगों का विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इसको नियमित रूप से प्रयोग और निष्ठा में लाने वालें लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.
गाँव से इतना इरिटेसन क्यों ?
जहाँ आज की युवा पीढ़ी गाँव को हेट करने लगी हैं वहीं कुछ युवा गाँव से जुड़ी बातें, यादें एवं सपनो को कलम से सजा कर पेश करते रहते हैं तो आईये पढ़ते है सागर झा के कलम से निकला यह आलेख “गाँव से इतना इरिटेसन क्यों ?”