विविध
1954 का बिहार का सूखा
बिहार में किसी भी बुज़ुर्ग से बाढ़ के बारे में पूछिए तो वह 1954 की बाढ़ का ज़िक्र बड़ा रस लेकर बतायेगा. उससे पूछिए कि बाढ़ के बाद सूखा भी पडा था तो यह बात उसे याद नहीं आयेगी मगर यह सच है.
देश का पहला ‘पुस्तक-गाँव’
सतारा के पंचगनी से लेकर महाबलेश्वर तक की सरजमीं को सुरम्य बनानेवाली पहाड़ी जनपद में छोटी-सी बस्ती है – भिलार । मुश्किल से दो ढ़ाई सौ परिवारों वाली किसानी बस्ती । आबादी यही कोई 28-29 सौ के बीच ही । बस्ती से दूर – खेतों और बगीचों की ओर चलें जायें तो जीभ की सरसता बढ़ …
याद उनको मेरी भी आती तो होगी !
सामाजिकता का चलन ख़त्म होने के साथ हमारी उम्र के लोगों के लिए होली अब स्मृतियों और पुराने फिल्मी गीतों में ही बची रह गई है. आज भोले बाबा की बूटी का प्रसाद ग्रहण कर यूट्यूब पर अपने मनपसंद पुराने होली गीत सुन रहा था कि गांव में बीती बचपन की कई होलियां याद आ …
खादी सिर्फ वस्त्र नहीं परिश्रम और स्वाभिमान का प्रतीक
“खादी” का अर्थ है कपास, रेशम या ऊन के हाथ कते सूत, भारत में खादी या खद्दर हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं. इसका सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है. भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में खादी का बहुत महत्व रहा. गांधीजी ने 1920 के दशक में गावों को आत्मनिर्भर बनाने के …
जब बिजली गिरे ! तो क्या करें ?
मित्रों ! राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार द्वारा जारी किया गया सूचना जो जनहित में है । हम सभी इसे ध्यानपूर्वक पढ़े और अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें । जब बिजली गिरे ! तो क्या करें ?
मैं, मेरा गाँव और आम का गाछी
मेरे गाछी का बम्बई आम बोना गया है गजपक्कू मुझे बहुत पसंद है इसलिए मेरे बार-बार व्यस्तता बताने के बावजूद माँ का आदेश था की कल सुबह आम टूटने से पहले गाँव पहुँचो ! उम्र के लिहाज से युवा अवस्था मे प्रवेश कर चुका हूँ लेकिन दिल से बच्चा रजनीश को क्या और कौन पसन्द …
माटी को निर्जलीकरण हो गया है
अभी जहानाबाद गया था, जल विहीन है पूरा क्षेत्र | गर्द का गुबार उठता है हल्की सी हवा चलने भर से | परती खेत धूप में जल रहा है | ये स्थिति नवादा, जमुई जैसे कई अन्य क्षेत्रो में भी हो रहा है |
“खा लो, नहीं तो एक बगड़ा का मौस घट जायेगा!”
गाँव से दूर रहना ही “हेहरु” हो जाना हो जाता है। और तब जब आप छात्र-जीवन का निर्वहन कर रहे होते हैं। कब खाए? नहीं खायें? किसी को कोई परवाह नहीं। बंद कमरे में आपको कोई नहीं पूछता। रूम पार्टनर होगा भी तो उसकी भी परिस्थिति आपके ही बरबार होती है। जबतक चल रहा है …
त्रिशंकु वाली स्थिति है जहां ना आप मूलवासी हैं ना ही प्रवासी
गाँव छोड़ने के बाद चित्त उद्विग्न है। गाँव में बाल सखा किशुन से मुलाकात हुई। पूछा कि आजकल क्या कर रहे हो तो जबाब दिया की इज्जत बचा कर दो वक्त की रोटी कमा रहा हूँ। तुम लोगों ने गाँव छोड़ दिया कभी खोज खबर भी नहीं लेते। किसी न किसी को तो गाँव में …