Posts in category

पर्यावरण


बिहार में किसी भी बुज़ुर्ग से बाढ़ के बारे में पूछिए तो वह 1954 की बाढ़ का ज़िक्र बड़ा रस लेकर बतायेगा. उससे पूछिए कि बाढ़ के बाद सूखा भी पडा था तो यह बात उसे याद नहीं आयेगी मगर यह सच है.

dry-soil-copy

अभी जहानाबाद गया था, जल विहीन है पूरा क्षेत्र | गर्द का गुबार उठता है हल्की सी हवा चलने भर से | परती खेत धूप में जल रहा है | ये स्थिति नवादा, जमुई जैसे कई अन्य क्षेत्रो में भी हो रहा है |

प्रिय पाठकों प्रस्तुत है विश्वपर्यावरण दिवस पर चर्चित युवा साहित्यकार “विकास वत्सनाभ” जी का आलेख “विश्व पर्यावरण दिवस और बारूद की ढ़ेर पर सिगरेट सुलगाता जेनरेशन“

प्रिय पाठकों विचार-बिंदु के इस अंक में प्रस्तुत है । विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेषांक युवा साहित्यकार सुमित मिश्र ‘गुंजन’ द्वारा रचित लघुकथा “पीपल की आत्मकथा”