समाज
हम सबकी शर्म गाथा के रूप में है फ़िल्म ‘कसाई’
कुछ दिन पहले हमने गजेंद्र श्रोत्रिय की फिल्म देखी थी ‘कसाई’। इस तरह की फिल्में देखने या साहित्य पढ़ने के तुरंत बाद उस पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे पाती। ‘कसाई’ शीर्षक से शिवमूर्ति जी की कहानी और बाद में उसपर आधारित नाटक ‘कसाईबाड़ा’ का याद आना स्वाभाविक है। कुछ नाम की समानता के कारण …
सौराठ : मिथिला की एक सांस्कृतिक स्थल
सौराठ मिथिला (उत्तर बिहार) के मधुबनी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक गाँव है। यह मिथिला के उन गांवों में से एक है, जो मिथिला के सांस्कृतिक इतिहास में अपने विशाल योगदान के लिए जाना जाता है। यह एक प्राचीन स्थान है, जहाँ खुदाई किये गए कुछ टीले पाए गए हैं, जो संभवतः इसके ऐतिहासिक महत्व …
रक्तांचल : कहाँ आ पाया वो स्वाद ?
ऐसा कहना बिल्कुल अतिश्योक्ति नहीं होगी कि और जो भी हो मगर ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी दमदार क्राईम-थ्रिलर फिल्मों से लोगों का टेस्ट जरूर बदल गया है। जिसका प्रमाण आपके सामने है कि मिर्जापुर, पाताल लोक जैसी वेब सीरीज इतनी लोकप्रिय हो रही है। अभी हाल में ही एम एक्स प्लेयर पर रिलीज हुई नई …
राहुल सांकृत्यायन और नेपाल
नेपाल के प्रसिद्ध साहित्यकार धर्मरत्न यमि के साथ राहुल सांकृत्यायन की यह तस्वीर जनवरी 1953 में राहुल जी की नेपाल-यात्रा के दौरान ली गई थी। राहुल जी की यह यात्रा इस अर्थ में भी विशिष्ट थी कि इसी दौरान राहुल जी नेपाल के महाकवि लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा के साथ-साथ अन्य प्रमुख नेपाली साहित्यकारों से भी मिले …
अंग महाजनपद के सौदागर
पिछले दिनों प्राचीन भारत से संबंधित कई किताबों को पढ़ने का मौका मिला । इसमें बिहार से जुड़े विभिन्न अंचलों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता चला । अब जैसे मगध साम्राज्यवादियों और ज्ञान की तलाश करने वाले व्रात्यों का गढ़ था । मिथिला वैदिक ज्ञान और न्याय शास्त्र की भूमि रही, बाद में लिच्छवियों के …
दारा शिकोह! इतिहास में वाजिब जगह तलाशता शहजादा!
एक ऐसा शख्स जो विविधतापूर्ण भारतीय संस्कृति में समन्वयकारी तत्वों की खोज में ताउम्र लगा रहा। जो सच्चे अर्थों में धार्मिक सहिष्णुता एवं धर्म निरपेक्षता का हिमायती था। भारतीय इतिहास द्वारा विस्मृत एक अनोखा एवं अद्भुत व्यक्तित्व जिसे सूफियों एवं मनीषियों की पंगत में बैठना अच्छा लगता था।हुमायूं एवं अकबर के गुणों से लैस था …
महानारी का शहर “महनार”
कहानी वैशाली के महानारी आम्रपाली की, जिसे उसकी खूबसूरती ने बना दिया था नगरवधू| महानारी आम्रपाली के कारण ही हमारे शहर का नाम महनार रखा गया ।
बाजीराव ने दिया मेवाड़ को सम्मान
जनवरी का महीना और साल था 1736 ईस्वी । देश के शासकों के एक मजबूत संगठन के ध्येय को लेकर पेशवा बाजीराव (प्रथम, 1700-1740 ई.) ने मेवाड़ की ओर भी रुख किया । तब यहां के महाराणा जगतसिंह (द्वितीय) थे ।
एमडीएम : शिक्षा जगत पर बदनुमा दाग
अभी पिछले दिनों एमडीएम के तहत विद्यालयों में नमक-रोटी परोसे जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद मैं बहुत आशान्वित था कि इस पूरे मामले पर व्यापक विमर्श होगा और एमडीएम की परत दर परत उधेड़े जाएंगे।
आधुनिक संगीत का नया स्वरूप
अभी कल को मैंने एक फेसबुक पर एक पंजाबी गीत के बोल पोस्ट किया था. हमारे कई मित्रों ने अपने तरीके से अलग-अलग मतलब निकाले. कई लोगों को ये तक लगा कि मेरा ‘फिर से’ (…… ‘फिर से’) किसी के साथ चक्कर आरंभ हो गया. कुछ लोग तो इनबॉक्स तक पहुँच गए कि क्या कहाँ …