विश्वभर में योग पर लोगों का विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. इसको नियमित रूप से प्रयोग और निष्ठा में लाने वालें लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. आइये जानतें है, योग का महत्व / Importance of Yoga
Importance of Yoga in Hindi
/ योग का अर्थ / Meaning of yoga
योग शब्द का अर्थ ‘एक्य’ या ‘एकत्व’ होता है और यह संस्कृत धातु ‘युज्’ से बना है, जिसका अर्थ होता है ‘जोड़ना’ । गीता में भगवन श्री कृष्ण ने कहा है “योग: कर्मसु कौशलम्” अर्थात योग से कर्मों में कुशलता आती है। व्यावहारिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है ।
योग के प्रकार / Types of yoga
योग की उच्चावस्था जो की समाधि और मोक्ष को मानी जाती है उसे पाने के लिए योग की प्रमाणिक पुस्तकों में चार प्रकार के योगों का वर्णन किया गया है । ( 1) मन्त्रयोग – मन्त्रयोग का संबंध प्राणी के मन से है । मन वही कहलाता है जो सोचता है, मनन चिंतन करता है । कहा गया है की मन्त्रयोग अल्पबुद्धि साधकों के लिए प्रभावशाली है । मन्त्र के उच्चारण से ध्वनि की तरेंगे निकलती है और उसका प्रभाव शरीर और आत्मा दोनों पर पड़ता है ।
( 2) हठयोग – हठ का अर्थ जिद या जबरदस्ती कहा जा सकता है । हठप्रदीपका पुस्तक के अनुसार ‘ह’ का अर्थ सूर्य और ‘ठ’ का अर्थ चंद्र को बताया गया है । अर्थात सूर्य और चन्द्र के मिलन की स्थिति ही “हठयोग है । इसी पुस्तक में इसके चार अंगों का वर्णन किया गया है :- आसन, प्राणायाम, मुद्रा एवं बन्ध तथा नादासुधान
( 3) लययोग – लय का अर्थ है चित्त स्वरूप और जब साधक हर छण लय में आकर ब्रह्म का ध्यान करता रहे तो उसे ही लययोग कहा जाता है । ( 4) राजयोग – महर्षि पतंजलि के अनुसार ये योग साधक के क्लेश हरने में सक्षम है । ये योग क्रियायोग और अभ्यासों से आगे बढ़ता है । इन चार योगों के अलावा गीता में तीन प्रमुख योग का वर्णन किया गया है ( 1) ज्ञानयोग ( 2) कर्मयोग ( 3) भक्तियोग
योग का इतिहास / History of yoga
योग भारतीय ज्ञान की हज़ारों वर्ष पुरानी शैली है । 500 बी०सी० से लेकर 800 ए०डी० तक जिसे शास्त्रिय युग माना गया है इसमें सबसे ज्यादा योग का फैलाव हुआ है । 2700 ईसा पूर्व एवं इसके बाद पतंजलि काल तक योग की मौजूदगी के ऐतिहासिक प्रमाण देखें गयें हैं।
हज़ारों मूर्तियाँ इसके सम्बन्ध में योग की स्थिति में अभी तक प्रामाणिक रूप में है । इन मूर्तियों का होना इसके सम्बन्ध धार्मिक संस्कारों से होने की संकेत देती है । भागवत गीता में बड़ी संख्या में योग शब्द का उल्लेख किया गया है । योग के साक्ष्य के दर्शन सिन्धु -घाटी, वैदिक, बौहट, जैन और रामायण से लेकर महाभारत तक किसी न किसी माध्यम से होतें आ रहे हैं ।
योग के प्रसिद्ध ग्रन्थ / Famous Texts of Yoga
‘योगसूत्र’ -रचयिता ‘पतंजलि’ ।
‘योगभाष्य’ – रचयिता ‘वेदव्यास’ ।
‘तत्ववैशारदी’ – रचयिता ‘वाचस्पति मिश्”र ।
‘हठयोग प्रदीपिका’ – ‘स्वामी स्वात्माराम’
‘योग सूत्रवृति’ – ‘नागेश भट्ट’
योग के आठ अंग ( अष्टांग ) / Eight organ of yoga
‘अष्टांग’ जो योग के 8 अंग है जिसमे आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है ।
( 1 ) यम
( 2 ) नियम
( 3 ) आसन
( 4 ) प्राणायाम
( 5 ) धारणा
( 6 ) ध्यान
( 7 ) प्रात्याहार
( 8 ) समाधि
आसन और प्राणायाम / Asana and Pranayama
आसन :- मन को स्थिर किये हुए एक ही स्थिति में अभ्यास करना योग कहलाता है । आसन के दो प्रकार हैं :- गतिशील एवं स्थिर । योगासन – योग करने की क्रियाओं को योगासन कहतें हैं । वहीं योगा के लिए प्राणायाम मुख्य है जिसका योग अंगों में चौथा स्थान है । प्राणायाम :- प्राण का अर्थ जीवन शक्ति एवं आयाम का अर्थ ऊर्जा पर नियंत्रण है । यानी की स्वाश लेने के कुछ तकनीकों से जब प्राण पर नियंत्रण किया जाता है वही प्राणायाम कहलाता है । प्राणायाम के मुख्य तीन प्रकार हैं –
(1) अनुलोम-विलोम
(2) कपालभाति प्राणायाम
(3) भ्रामरी प्राणायाम ।
योग का महत्व एवं लाभ / Importance of Yoga
उपर्युक्त बातों से योग का प्राचीन में महत्व का पता चलता है । अब योग का महत्व हमारे नियमित संस्कार में बढ़तें जा रहें है । आधुनिक युग में इसका महत्व बढ़ गया है । लोग अब शारीरीक तनाव , थकावट , बैचैनी और अन्य मुख्य मानसिक रोगों जैसी परेशानियों से ग्रसित हो गयें हैं ।
जिसे दूर करने के लिए अब इस युग में योग को अपनाना महत्वपूर्ण हो गया है । लोग मोटापें के शिकार हो रहें हैं और इसके लिए योगा काफी फायदेमंद है । योग वयक्ति के जीवनशैली में एक स्वच्छ बदलाव लाती है जिस स्वच्छता की जरूरत अब दुनिया भर को है । योग से न केवल तनाव दूर होता है बल्कि इससे मस्तिष्क की ताकत बढ़ जाती है । नियमित योग करने से पुरे दिन ताजगी का एहसास होता है । वास्तव में योग बहूत ही लाभदायक है ।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस / International Yoga Day
वर्तमान में योग भारत के अलावा पुरे विश्व में प्रसांगिक विषय बना हुआ है । इसका प्रमाण योग दिवस एवं योगा के लिए आयोजित किये गए कार्यक्रम से मिलता है । सर्वप्रथम अंतराष्ट्रीय योगा दिवस 21 जून 2015 में आयोजन किया गया था जिसने विश्वभर में कई कीर्तिमान स्थापित किये । भारत और कुल 192 देशों में इसका आयोजन किया गया और साथ ही 47 इश्लामिक देशों में इसके आयोजन ने योगा के लिए एक उज्जवल छाप छोड़ा । दिल्ली में एक साथ 35175 लोगों ने योगा कर योग के भविष्य को दर्शाया । इस अवसर पर दिल्ली में 84 देशों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे । भारत ने इस अवसर पर 2 गिनीज विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किये
(1) एक साथ और एक जगह पर सबसे ज्यादा योगा करने का रिकॉर्ड ,
(2) एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों को योगा करवाने का, जो की दिल्ली में सम्पन्न हुआ ।
लेखक : सागर कुमार झा
you have a good knoeladge about yoga . good article thanku for sharing