कुछ जवाब बुद्ध के पास भी हैं।


कोरोना महामारी ने हर किसी को परेशान किया है। तमाम लोग, खासकर महिलाएं अवसाद का शिकार होने लगी हैं। लेकिन महात्मा बुद्ध के संदेश हमें अवसाद पर जीत दिला सकते हैं।

कोरोना महामारी ने यूं तो समाज के सभी तबकों पर असर डाला है लेकिन हम औरतों ने इस दौरान जिन मुश्किलों का सामना किया है वह अकल्पनीय है, इन हालातों में महात्मा बुद्ध के उपदेश हमेशा हमें मध्यम मार्ग अपनाने की सलाह देते हैं। यह राह न ही बहुत कठोर है और न ही लचीली, थोड़े अनुशासन के साथ उदार बनकर आप परिस्थिति वश बनें इस अवसाद रूपी भंवर जाल से बाहर निकल सकती हैं। यही नहीं बुद्ध के द्वारा बताए गए चार आर्य सत्य का पालन कर आप मानसिक तनाव को दूर कर सकती हैं।

खुशी खोजना ही जीवन है

बुद्ध के उपदेशों में पहला आर्य सत्य दुख है, से जुड़ा है। कोराना महामारी में लॉकडाउन के दौरान नौकरियों का जाना , बेरोजगार होना, पीड़ा, बीमारी और मौत हुई है, इनको नकारा नहीं जा सकता है। जीवन में भय और अनिश्चतताएं आती रहीं, यह सामान्य जीवन का एक हिस्सा है। इन असमानताओं, अप्रत्याशित घटनाओं तथा नियंत्रण की कमी में वास्तिवकता के साथ शांति बनाए रखें। खुद को टूटने से रोकें और इसे भी जीवन का अभिन्न अंग मानें। समय-समय पर आने वाली अनावश्यक पीड़ाएं जीवन का हिस्सा हैं और वक्त के साथ जुड़ती चली आती हैं। आप वर्तमान में जीएं, अतीत में न जाएं और भविष्य के बारे में नहीं सोचें, वास्तविकता को स्वीकार करना और इसी में खुशी खोजना ही जीवन है।

कष्ट खत्म होने का विश्वास

दूसरे आर्य सत्य में दुख के कारणों की चर्चा की गयी है। महामारी के दौरान अवसाद का कारण भी जानने की कोशिश करें। हमारी मानसिक उलझन और उदासी का कारण परिजनों के दुख के साथ अज्ञानता भी है। यह अज्ञानता महामारी और आरोग्य के बारे में नहीं जानने के कारण पैदा हुई है। दुख खत्म होने का विश्वास रखें, यह विश्वास योग्यता तथा क्षमता से आता है।

अवसाद दूर हो सकता है,

तीसरा आर्य सत्य है दुख दूर हो सकते हैं। सकारात्मकता और आशावादी सोच बनाए रखना अवसाद को दूर करने का सबसे बड़ा हथियार है। इसलिए हताश न हो, अपने परिवार और बच्चों के साथ आशा का दीपक जलाए रखें।

जीने की लालसा बनाए रखें

जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन जीवन अनमोल है, यह विचार ही हमें अवसाद से बाहर निकालता है। जिंदा रहने से ही रिश्ते भी बने रहेंगे। परिवार में किसी सदस्य के संक्रमित होने पर अपना ख्याल रखते हुए उसकी सेवा करें। उससे दूरी जरूर बनाएं लेकिन अलगाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होने दें।

चीजों के बीच तालमेल को जानें

बौद्ध धर्म संसार की सभी वस्तुओं में कार्य-कारण सिद्धांत को मानता है। दुनिया में सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, इस बात को जानें। परिवार और पड़ोसी भी आप से जुड़े हैं, आपकी खुशी उनके सेहत से जुड़ी है। इससे हम दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदार समझ कर उनका ख्याल रखते हैं।

मध्यम मार्ग फलदायी

भगवान बुद्ध मध्यम मार्ग के समर्थक थे। बहुत कठोर और लचीला रवैया अपनाने से बेहतर है कि आप मध्यम मार्ग अपनाएं। इससे आप अपने प्रिय जनों के सम्पर्क में भी रहेंगे और अलगाव भी नहीं महसूस करेंगी। ऐसे में खुद को घर में बंद करना या सावधानियों को दरकिनार कर बेवजह घूमना आपके लिए भारी पड़ेगा।

हार नहीं माननी है

गौतम बुद्ध चौथे आर्य सत्य में सम्यक दृष्टि तथा सम्यक संकल्प का पालन करने को कहते हैं। अपने आसपास की चीजों को सही तरीके से देखना अवसाद खत्म की राह में बेहतर कदम होगा। साथ ही रोज सुबह इस बात का संकल्प करें कि आप खुश रहेगीं और कोरोना महामारी से लड़ने में हार नहीं मानेगीं। सम्यक वाक तथा सम्यक कर्मान्त अष्टांग मार्ग के प्रमुख तत्व हैं। संक्रमण का खतरा चारों तरफ है लेकिन परिवार वालों, पड़ोसी, मित्रों और रिश्तेदारों से प्यार से बात करें। इस प्रकार सम्यक वाक को अपनाएं  जिससे सभी खुश होंगे और वातावरण में सकारात्मक विचारों का संचार होगा। परिवार के सदस्यों को कालाबाजारी, जमाखोरी करने से रोक कर सम्यक कर्मान्त का पालन करें और घर में छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें।भगवान बुद्ध के उपदेश सम्यक आजीविका, सम्यक व्यायाम के जरिए खुद को घर के कामों में व्यस्त रखें और परिवार के  लोगों का रूटीन बनाएं रखें। सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि द्वारा चीजों को सही स्थिति में देखना आपको अवसाद से दूर ले जाएगा। अपने परिवार के प्रति कर्तव्यों का तथा महामारी से जुड़ी सावधानियों का ध्यान रख आप खुद को खुश रख सकती हैं।

अवसाद को दूर करने के लिए करूणा है जरूरी

भगवान बुद्ध ने करूणा को विशेष महत्व दिया है इसलिए महामारी से उपजे अवसाद में करूणा बनाए रखें। करूणा न केवल दूसरों के प्रति बल्कि स्वयं के प्रति आवश्यक है। आइसोलेशन में स्वयं के प्रति करूणा आपको बीमारी से उबरने में मददगार होगी वहीं दूसरे के प्रति प्रदर्शित की गयी करूणा आपको अपने परिवार और समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगी। करूणा के कारण आप आइसोलेशन में भी अवसाद के मकड़जाल में फंसने से बच जाएंगे। सोशल डिस्टेंशिंग के समय करूणा का है खास महत्व। महामारी के डर से सभी एक दूसरे दूर हैं ऐसे करूणा से एक दूसरे सहायता कर अपने सम्बन्धों को मजबूत बनाएं जिससे अवसाद मुक्त होंगे।

विज्ञान में विश्वास आपको खुश रखेगा

बौद्ध धर्म में शील के अनुसरण को महत्वपूर्ण माना गया है। शील शिक्षाएं हैं जो मनुष्य के कल्याण हेतु आवश्यक है। शिक्षाओं में विज्ञान को समाहित किया जा सकता है। विज्ञान में विश्वास कर आप टीके की उपलब्धता तथा इलाज में भरोसा रखें जिससे आप अवसाद मुक्त होगीं। दुख, रोग और शोक तो है, बीमारियां आती रहीं इससे अवसाद भी होता है, लेकिन प्रेम, दया, करूणा, प्रसन्नता तथा धैर्य के द्वारा अवसाद तथा भय की स्थिति को बदला जा सकता है। भगवान बुद्ध के उपदेशों तथा दया, सहानुभूति, करूणा द्वारा दूसरों की देखभाल कर आप अवसाद मुक्त हो सकती हैं।


आलेख : डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय
पोस्ट डॉक्टोरल फेलो (दिल्ली विश्वविद्यालय)

( 21.5.2021 को अमर उजाला के रूपायन में प्रकाशित )

Previous नारीवाद का प्रतीक हैं जगत जननी जानकी
Next भारतीय गोरैया पक्षी : खुद में ऐतिहासिक कथा बनती जा रही !

No Comment

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *