कविता
अटल जी की 5 प्रसिद्ध कविताएँ
अटल जी कहते थे, “मेरी कविता जंग का एलान है, यह पराजय की प्रस्तावना नहीं | वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते यौद्धा का जय संकल्प है, वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है |”
जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी
रानी पद्मावती प्रसंग से जुड़े पंडित नरेंद्र मिश्र की लोकप्रिय कविता ‘पद्मिनी-गोरा-बादल‘ “दोहराता हूँ सुनो रक्त से लिखी हुई क़ुरबानी, जिसके कारण मिट्टी भी चन्दन है राजस्थानी ।” डॉ कुमार विश्वास द्वारा इस कविता की प्रस्तुती का विडियो भी आवश्य देखें !
कवियत्री भारती झा की पाँच कविताएँ
“कवियत्री भारती झा की पाँच कविताएँ” भारती झा दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा हैं । साहित्य में रूचि रखती हैं, हिंदी तथा मैथिली में निरंतर कविताएँ लिखती हैं । आईये विचारबिंदु के इस अंक में पढ़ते हैं इनकी हिंदी की कविताएँ ।
बाबा नागार्जुन की कविताएँ
प्रस्तुत है, वैद्यनाथ मिश्र “यात्री” यानी बाबा नागार्जुन की कविताएँ बादल को घिरते देखा है, कालिदास! सच-सच बतलाना !, बांकी बच गया अंडा, इन घुच्ची आँखों में, अकाल और उसके बाद ।
कवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रेरणात्मक कविताएँ
कवि मैथिलीशरण गुप्त की कुछ प्रेरणात्मक कविताएँ/ कालजयी रचना जो हमें प्रेरणा देता है । आईये पढ़ें कविता ( “नर हो, न निराश करो मन को” एवं “मनुष्यता” )
कविता – जुवेनाइल मुहब्बत
समय की करवटों ने बहुत कुछ बदला है । लड़के अब ड्यूड और लड़कियाँ बेब्स कही जाने लगीं हैं । पॉकेट मनी सीसीडी और पब को नशीब हो रहा है । खतों की सिसकियाँ रिंगटोन में बजने लगी है । हर जगह..
पाँच बाल कविताएँ
प्रस्तुत है पाँच बाल कविताएँ । “माँ, कह एक कहानी”- मैथिलीशरण गुप्त / “बचपन जिंदाबाद !” – शादाब आलम / “टेसू राजा अड़े खड़े” – रामधारी सिंह दिनकर / “सुबह” – श्रीप्रसाद / “सतरंगे बादल” – पूनम श्रीवास्तव ।
मेरे जन्मदिन पर…….
कुछेक वर्ष पहले मेरे जन्मदिवस पे मेरे पिता ने मुझे इस जीवनोपयोगी कविता से उपहृत किया था। मैं न्यूनाधिक्य मूढ़ पता नहीं कितना कसूँगा इस के कसौटी पर…
रामधारी सिंह दिनकर – कुरुक्षेत्र
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म : 23 सितम्बर 1908 को बिहार के मुंगेर जिला के सिमरिया में हुआ था. दिनकर जी वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में प्रख्यात हुए.
कविता – झाँसी की रानी
भारतीय स्वंत्रता संग्राम के इतिहास की वीरांगना “झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई” जो 23 वर्ष की अवस्था में ही ब्रिटिश सैनिकों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई. आईये पढ़ते हैं सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “झाँसी की रानी”