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कहानी


कोरोना महामारी ने हर किसी को परेशान किया है। तमाम लोग, खासकर महिलाएं अवसाद का शिकार होने लगी हैं। लेकिन महात्मा बुद्ध के संदेश हमें अवसाद पर जीत दिला सकते हैं।

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सत्यजित रे की चर्चा के बगैर बांग्ला ही नहीं, भारतीय सिनेमा का भी इतिहास लिखा जाना मुमकिन नहीं। भारत के इस महानतम फिल्मकार ने भारतीय सिनेमा की नई परिभाषा गढ़ी और उसमें संवेदनाओं के कई मीलस्तम्भ खड़े किए। वे सिनेमा के परदे पर परंपरा और आधुनिकता के बीच की खाली जगह में संगीत की सृष्टि …

बिहार की राजधानी पटना के बोरिंग रोड स्थित फुटपाथ कुछ युवकों के प्रयास से सूरज डूबने के बाद जगमगा उठते हैं. राजधानी के कुछ यूथ रोड के फुटपाथ पर मोबाइल की धीमी रौशनी में गरीबो के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे है. ये युवा अपने ऑफिस और कॉलेज के बाद मिले समय …

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देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, लेखक और अग्रणी समाज सेवक मौलाना मज़हरुल हक़ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे योद्धाओं में रहे हैं जिन्हें उनके स्मरणीय योगदान के बावज़ूद इतिहास ने वह यश नहीं दिया जिसके वे हकदार थे ।

World's most compassionate love

इन दिनों खोज-खोजकर प्राचीन विश्व की कुछ मिथकीय प्रेम-कहानियों के बारे में पढ़ रहा हूं। इनमें से ज्यादातर कहानियों का अंत बहुत त्रासद हुआ है। दुनिया भर में कही-सुनी जानेवाली ऐसी त्रासद प्रेमकथाओं में आयरलैंड की एक प्राचीन कहानी का ज़िक्र प्रमुख रूप से होता है।

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विक्रम साराभाई ( 12 अगस्त 1919 – 30 दिसम्बर 1971 ) देश के प्रमुख वैज्ञानिकों में से थे. उनका जन्म अहमदाबाद गुजरात में अम्बालाल साराभाई और सरला देवी के परिवार में हुआ था. उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में शिक्षा ग्रहण किया. भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर पहुँचाने और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर …

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एक राजनेता के जीवन में पर्दे के पीछे चलते हुए उसके जीवन के घटनाक्रमों और दुःख-दर्द में भीगी हुई कलम से लिखा हुआ यह अदभुत लेख मनोहर पर्रिकर जी लिखते हैं – “राजभवन का वह हॉल कार्यकर्ताओं की भीड़ से ठसाठस भरा हुआ था. पहली बार गोवा में भाजपा की सरकार बनने जा रही है, …

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अपने सार्वजनिक जीवन में बेहद चंचल, खिलंदड़े, शरारती और निजी जीवन में बहुत उदास, खंडित, तन्हा किशोर कुमार रूपहले परदे के सबसे रहस्यमय और सर्वाधिक विवादास्पद व्यक्तित्वों में एक रहे हैं जिनकी एक-एक अदा, जिनकी एक-एक हरकत उनके जीवन-काल में ही किंवदंती बन गईं।

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भोजपुरी माटी और अस्मिता के प्रतीक स्व. भिखारी ठाकुर भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाते हैं। अपनी जमीन, उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक

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गुरुदत्त उर्फ़ वसंत शिवशंकर पादुकोन को हिंदी सिनेमा का सबसे स्वप्नदर्शी और समय से आगे का फिल्मकार कहा जाता है। वे वैसे फिल्मकार थे जिनकी तीन फिल्मों – ‘प्यासा’, ‘साहब बीवी गुलाम’ और ‘कागज़ के फूल’ की गिनती विश्व की सौ श्रेष्ठ फिल्मों में होती हैं।