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साहित्य


हे फुतकी गोरैया ! गोरैया पक्षी (Sparrow Birds) की एक युगल जोड़ी सप्ताह में एक दिन कहीं से उड़ मेरे आंगन आती हैं । मेरे यहाँ कबूतर है, सोचा– वे भी कहीं न कहीं घोंसले बनाकर टिक जाएंगी । परंतु नहीं, वह कबूतर को दिए चावल के दाने चुन फुर्र उड़ जाती हैं, शायद हम …

सेक्स की इतनी अधिक समस्याएं मनुष्य की मूढ़ता के कारण पैदा हुई हैं । बहुत ही सुगमता से इसमें प्रवेश कर इसका आनंद उठाया जा सकता है और इसके बाद इसे रूपांतरित कर उच्चतर आनंद की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है ।      ओशो ने मनुष्य के जीवन में हर सात साल के बाद एक …

साहित्य हमेशा मानव जाति के लिए, मानवीय कल्याण के लिए दृष्टि विस्तार की बात करता है। साहित्य लेखन को ठीक से देखा जाए तो लगेगा साहित्य समाज के लिए समालोचक की भूमिका भी निभाता है। बेपटरी हो रहे समाज को पटरी पर लाने के लिए साहित्यकार काफी प्रयास करते हैं। आज के समय में नैतिकता, …

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साहित्य ज्ञान की सौंदर्यबोधात्मक विधा है । इसी मामले में वह ज्ञान-विज्ञान की अन्य विधाओं से अलग है । “सौंदर्य” उसका भेदक गुण है । इसलिए साहित्य पर जब भी विचार हो तो प्राथमिकता के साथ उसके सौंदर्य पर, रस पर, आनंद पर विचार होना चाहिए, क्योंकि साहित्य में क्या कहा गया है, इससे ज्यादा …

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कबीर का एक पद है जिसमें जिक्र आया है कि नैहर में उनका मन नहीं लग रहा है, वह ससुराल जाना चाहती है । कबीर ने अपने को स्त्री बना लिया है । क्यों ? यह बाद में देखेंगे । पहले पद की कुछ पंक्तियां रख लेते हैं । इससे विचार करने में सुविधा रहेगी—

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वीडियो में जब शेर को किसी पशु का पीछा करते हुए देखता हूँ तो मेरी सारी संवेदना जान बचाने के लिए बेतहाशा भागते हुए पशुओं के पक्ष में हो जाती है । उस समय ऐसा तादात्म्य हो जाता है कि लगता है, पशु के साथ मेरे प्राण भी भागे जा रहे हैं । अगर वह …

नुति की पहली और दूसरी चिट्ठी को लोगों ने खूब प्यार दिया । लेखक प्रवीण झा से लगातार तीसरी चिट्टी की डिमांड होने लगी तो लीजिए विचारबिन्दु पे प्रस्त्तुत है “नुति की तीसरी चिट्ठी” पढ़िये और अपनी प्रतिक्रिया आवश्य दीजिए ताकि “विचारबिन्दु” के इस डायरी  श्रृंखला को आगे बढ़ाया जा सके ।

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अच्छी किताब है। पतली भी। कई बार खोजा लेकिन किसी न किसी किताब के बीच दुबक जाती थी। कल पढ़ ही ली।  मज़बूत स्मरण शक्ति वाला ही संस्मरण लिख सकता है। प्रभात रंजन की पालतू बोहेमियन पढ़ते हुए लगा कि मनोहर श्याम जोशी से मिलते वक्त वे नज़र और स्मरण शक्ति गड़ा कर मिला करते …

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मूसलाधार बारिश हो रही थी । रह-रह कर बिजली कड़क जाती । यह आषाढ़ की पहली झमटगर वर्षा थी । मैं बिस्तर पर लेटे-लेटे सुबह होने का इंतजार कर रहा था क्योंकि यह अपने तरह की विशेष सुबह लाता । सभी नदी-नाले, चौर – चांचड़ इससे भर जाते । यहाँ से हम लोग बरसात की …

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एक खुशखबरी है ! नुति की पहली चिट्ठी को लोगों ने प्यार भी दिया और इस चिट्ठी की मदद से उसे अभिलाषित जरिया भी मिल गया।