योग विज्ञान की सफलता “एक अनुसंधान”


yogacharya ravi jha

योग से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता, प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को प्रतिरक्षा विज्ञान (इम्म्यूनोलॉजी) का नाम दिया गया है । आज का विज्ञान एवं विकसित देश भी मान गये की योग एक विज्ञान है, जिसे जीवन में अपनाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है । इसके अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी सभी बड़े-छोटे कारणों की जांच की जाती है । इसमें प्रणाली पर आधारित स्वास्थ्य के लाभदायक और हानिकारक कारणों का ज्ञान किया जाता है । प्रतिरक्षा प्रणाली किसी जीव के भीतर होने वाली उन जैविक प्रक्रियाओं का एक संग्रह है, जो रोगजनकों और अर्बुद कोशिकाओं को पहले पहचान और फिर मार कर उस जीव की रोगों से रक्षा करती है । यह विषाणुओं से लेकर परजीवी कृमियों जैसे विभिन्न प्रकार के एजेंट की पहचान करने मे सक्षम होती है, प्रतिरक्षा प्रणाली के क्षेत्र में खोज और शोध निरंतर जारी हैं एवं इससे संबंधित ज्ञान में निरंतर बढोत्तरी होती जा रही है ।

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प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रतिरोधक (बैरियर) जीवों को बीमारियों से बचाते हैं, इनमें यांत्रिक, रसायन और जैव प्रतिरोधक होते हैं । आधुनिक जीवन शैली में हमारा आहार, विहार, आचरण जिस तरह प्रभावित हुआ है उसका हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम पर बड़ा नकारात्मक असर पड़ा है । जब शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति अंदर से कमजोर हो जाती है तब व्यक्ति जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगता है । सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार, सिर दर्द आदि बीमारियां लगातार शरीर को जकड़े रखती हैं । आज के जीवन में टॉक्सिन, प्रदूषण, भोजन का गलत चयन तथा नकारात्मक विचार हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर बना देते हैं । आप भी अपने जीवन में योग विज्ञान को अपनायें एवं स्वस्थ्य रहे ।


आलेख : ‘योगाचार्य’ रवि व्योम शंकर झा 

( ‘योगाचार्य‘ जी योग विज्ञान से स्नातकोत्तर हैं एवं योग में वैश्विक कीर्तिमान स्थापित किया है )

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