क्या वाकई हम आजाद हैं ?
प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त हम भारतीयों के लिए विशेष दिन होता है। तीन राष्ट्रीय त्योहारों में से एक स्वतंत्रता दिवस हमें जश्न मनाने का सुअवसर प्रदान करता है। हरेक वर्ष हम इस दिन गुलामी,संघर्ष,आंदोलन,शहीदों और आजादी को याद करते हैं। इन तमाम उत्सवों और हर्षोल्लासों के बीच एक प्रश्न बार-बार हमारे जेहन में उठता है- …
हे हंसवाहिनी से गजबे कमर लचके तक
हमारे समाज मे सभ्य लोगों का एक ऐसा भी समूह होता है जो बरसाती बेंग की तरह केवल दूर्गा पूजा, काली पूजा और सरस्वती पूजा के अवसर पर ही दृष्टिगोचर होते हैं । इन भक्तों का पहला काम होता है हफ्ता वसूलने के स्टाइल में चंदा वसूलना ।
सफलता के मूल मंत्र Success Tips and Ideas
सफलता के मूल मंत्र Success Tips and Ideas आखिर वह कौन सी शक्ति है जो हमारी सफलता या असफलता निर्धारित करती है ? क्या हमारी सफलता को हमारा भाग्य निर्धारित करता है या कोई और ?
पीपल की आत्मकथा
प्रिय पाठकों विचार-बिंदु के इस अंक में प्रस्तुत है । विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेषांक युवा साहित्यकार सुमित मिश्र ‘गुंजन’ द्वारा रचित लघुकथा “पीपल की आत्मकथा”
क्या इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना हमारे पुरखों ने की होगी ?
समस्त ब्रम्हांड का आधार बदलाव है। युग-युगांतर से बदलाव होते रहे हैं तथा होते रहेंगे। परंतु जब मैं… इस भीड़ से परे वर्तमान पर दृष्टि डालता हूं,तो मन विस्मय से भर उठता है। एक सवाल बार-बार जेहन में उठता है कि क्या हमारे पुरखों ने इसी परिवर्तित समाज की परिकल्पना की होगी? उत्तर शायद …