मनुष्य अपना जीवन विश्वास पर जीता है । परन्तु विश्वास किसका तनिक सोचिये किस पर विश्वास है आपको – महापुरुषों के कही बातों पर, ग्रंथो में लिखे ज्ञान पर, माता-पिता की सीख पर या मेरी कही बातों पर ये सब विश्वास अपूर्ण हैं । जब तक आपको स्वयं पर विश्वास न हो । यदि विश्वास करना है तो पहले अविश्वास करने के विज्ञान को भी सीखना चाहिए ।
आप किसी भी बातों पर विश्वास न करें । आप अपने मन से पूछें , अपनी अंतरात्मा से प्रश्न करें । और जो उत्तर मिलेगा , वही सबसे उचित होगा । जब आप अपने मन अपनी अंतरात्मा पर विश्वास करना सीख जायेंगे तो निति ज्ञान सब आपके भीतर से स्वत: उमरेगा ।
और यदि आप स्वयं पर ही विश्वास न कर पायें तो धर्म ग्रंथो में लिखे श्लोक , महापुरुषों की वाणी , माता-पिता कि सीख या मित्रों का निर्देष कोई भी लाभ नहीं दे पायेगा ।
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