Biography / जीवनी
तंग आ गए हैं कशमकश-ए-ज़िन्दगी से हम !
गुरुदत्त उर्फ़ वसंत शिवशंकर पादुकोन को हिंदी सिनेमा का सबसे स्वप्नदर्शी और समय से आगे का फिल्मकार कहा जाता है। वे वैसे फिल्मकार थे जिनकी तीन फिल्मों – ‘प्यासा’, ‘साहब बीवी गुलाम’ और ‘कागज़ के फूल’ की गिनती विश्व की सौ श्रेष्ठ फिल्मों में होती हैं।
डॉ लक्ष्मण झा : आधुनिक विदेह
डॉ लक्ष्मण झा का जन्म दरभंगा जिला के रसियारी गाँव मे हुआ था। शुरुआती पढाई प्रसिद्ध विद्वान पंडित रमानाथ झा के सानिध्य में हुआ। बचपन से ही भौतिक और सांसारिक चीजों से प्राकृतिक दूरी सी हो गई थी। घर वाले बचपन मे ही बियाह करवाना चाहते थे लेकिन वो सीधे मना कर देते, बारंबार विवाह …
वो ऊँगलियों का नहीं रूह का जादू होगा !
भारतीय शास्त्रीय संगीत के पुरोधा और देश के महानतम सरोद-वादक उस्ताद अली अकबर खां को सरोद को विश्वव्यापी मान्यता और लोकप्रियता दिलाने का श्रेय जाता है। वे प्रसिद्द मैहर घराने के संस्थापक उस्ताद अल्लाउदीन खां के पुत्र, संगीतज्ञ अन्नपूर्णा देवी के भाई और विश्वप्रसिद्ध सितार वादक पंडित रविशंकर के साले थे।
एक थे जनकवि घाघ !
बिहार और उत्तर प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय जनकवियों में कवि घाघ का नाम सर्वोपरि है। सम्राट अकबर के समकालीन घाघ एक अनुभवी किसान और व्यावहारिक कृषि वैज्ञानिक थे। सदियों पहले जब टीवी या रेडियो नहीं हुआ करते थे और न सरकारी मौसम विभाग, तब किसान-कवि घाघ की कहावतें खेतिहर समाज का पथप्रदर्शन करती थी।
तलत महमूद ; दिले नादां तुझे हुआ क्या है !
भावुक, कांपती, थरथराती, रेशमी आवाज़ के मालिक तलत महमूद अपने दौर के बेहद अजीम पार्श्वगायक रहे हैं। अपनी अलग-सी मर्मस्पर्शी अदायगी के बूते उन्होंने अपने समकालीन गायकों मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे और हेमंत कुमार के बरक्स अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।
मार्क्स के आधारभूत सिद्धांत का समर्थक हूँ, समर्थकों का समर्थक नहीं !
दुनिया में चारो तरफ शोषण व्याप्त था, मजदूरों का शोषण । उनके न तो काम के घंटे निश्चित थे और न ही कोई निश्चित मजदूरी । छुट्टियों का तो सवाल ही छोड़िये । यहाँ तक की यदि किसी मजदूर/कर्मचारी की मृत्यु हो जाए या वो कारखाने में कार्य के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो उसे …
एक कवि जो रमता जोगी, निठट्ठ गंवार और स्थानीय येट ग्लोबल थे
एक कवि जो रमता जोगी थे । निठट्ठ गंवार, स्थानीय येट ग्लोबल थे । हर जगह घुमें, घाट-घाट पहुंचे, सबसे मिले-सबसे जुड़े लेकिन फिर भी अपना निजी गुण नहीं छोड़ा । सच बोलने की आदत नहीं गई, सरकार सिस्टम ने जब भी अनाचार अपनाया बाबा खुलकर विरोध किए ।
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” की कुछ जीवंत रचनाएँ
उर्दू के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की पुण्यतिथि पर, उनकी कुछ जीवंत रचनाएँ । इनका जन्म – 27 दिसंबर, 1796 ( आगरा, उत्तर प्रदेश ) एवं अवसान – 15 फरवरी, 1869 ( दिल्ली ) में हुआ ।
वो जब याद आए, बहुत याद आए
मरहूम मोहम्मद रफ़ी भारतीय फिल्म संगीत की वह अज़ीम शख्सियत थे जिनकी आवाज़ की शोख़ियों, गहराईयों, उमंग
महर्षि मुद्गल-एक प्रेरक प्रसंग
मुद्गल नामक ऋषि कुरुक्षेत्र में रहते थे । ये बड़े धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, भगवद्भक्त एवं सत्यवक्ता थे । किसी की भी निन्दा नहीं करते थे । ये शिलोंछवृत्ति से अपना जीवन निर्वाह करते थे।