अपनी मिट्टी से जुड़ा बिदेसिया

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भोजपुरी माटी और अस्मिता के प्रतीक स्व. भिखारी ठाकुर भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाते हैं। अपनी जमीन, उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं तथा राग-विराग की जितनी समझ भिखारी ठाकुर को थी, उतनी किसी अन्य भोजपुरी कवि-लेखक में दुर्लभ है

बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर गांव के एक गरीब नाई परिवार में जन्मे भिखारी ठाकुर को नाम मात्र की स्कूली शिक्षा प्राप्त हुई। किशोरावस्था में ही रोजगार की तलाश में वे खडगपुर और पुरी गए जहां साथियों के बीच गायकी का चस्का लगा। चस्का ऐसा कि सब छोड़-छाड़कर घर लौटे और गांव में दोस्तों के साथ रामलीला मंडली बना ली। रामलीला में सफलता मिली तो खुद नाटक और गीत लिखने और उन्हें मंचित करने लगे। नाटकों में सीधी-सादी लोकभाषा में गांव-गंवई की सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं होती थीं जिनसे लोग सरलता से जुड़ जाते थे। लोक संगीत उन नाटकों की जान हुआ करती थी। फूहड़ता का कहीं नामोनिशान नहीं। ‘विदेसिया’ आज भी उनका सबसे लोकप्रिय नाटक है जिसमें एक ऐसी पत्नी की विरह-व्यथा है जिसका मजदूर पति रोजी कमाने शहर गया और किसी दूसरी स्त्री का हो गया।

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जिन अन्य नाटकों की उन्होंने रचना की, वे हैं – गबरघिचोर, भाई विरोध, बेटी बेचवा, कलयुग प्रेम, विधवा विलाप, गंगा अस्नान, ननद-भौजाई संवाद, पुत्र-वध, राधेश्याम बहार और द्रौपदी पुकार। उनकी नाटक मंडली का यश पहले बिहार और फिर देश में तथा देश के बाहर उन तमाम जगहों पर पहुंचा जहां बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग बसते थे। उनकी मंडली ने उत्तर भारत के शहरों के अलावा मारीशस, फीजी, केन्या, नेपाल, ब्रिटिश गुयाना, सूरीनाम, यूगांडा, सिंगापुर, म्यांमार, साउथ अफ्रीका, त्रिनिदाद आदि देशों की यात्राएं की और वहां बसे भारतीय मूल के लोगों को उनकी अपनी जड़ों से परिचित कराया।


पुण्यतिथि (10 जुलाई) पर भोजपुरिया मिट्टी के लाल भिखारी ठाकुर को नमन, उनकी पंक्तियों के साथ !

हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अंखियां से,
चोखे-चोखे बाड़े नयना कोर रे बटोहिया।
ओठवा त बाड़े जइसे कतरल पनवा से,
नकिया सुगनवा के ठोर रे बटोहिया।
दंतवा ऊ सोभे जइसे चमके बिजुलिया से
मोंछियन भंवरा गुंजारे रे बटोहिया।
मथवा में सोभे रामा टेढ़ी कारी टोपिया से,
रोरी बूना सोभेला लिलार रे बटोहिया।


आलेख : पूर्व आई० पी० एस० पदाधिकारी, कवि : ध्रुव गुप्त

Comments

2 responses to “अपनी मिट्टी से जुड़ा बिदेसिया”

  1. प्रणव नार्मदेय avatar
    प्रणव नार्मदेय

    बढ़िया रजनीश! तुम अच्छे आलेख लेखन की तरफ़ बढ़ रहे हो। निरन्तरता बनी रहे। आशीष!

  2. Deepak Mishra avatar
    Deepak Mishra

    महाशय भिखारि ठाकुर जि का दिल से नमन …
    काश हमारे बिच होते

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