दुनिया की सबसे करुण प्रेमकथा


World's most compassionate love

इन दिनों खोज-खोजकर प्राचीन विश्व की कुछ मिथकीय प्रेम-कहानियों के बारे में पढ़ रहा हूं। इनमें से ज्यादातर कहानियों का अंत बहुत त्रासद हुआ है। दुनिया भर में कही-सुनी जानेवाली ऐसी त्रासद प्रेमकथाओं में आयरलैंड की एक प्राचीन कहानी का ज़िक्र प्रमुख रूप से होता है। इस प्रेमकथा का नायक प्राचीन आयरलैंड का एक योद्धा ओईसीन है। ओईसीन एक दिन शिकार की तलाश में जंगल की खाक छान रहा था कि उसकी मुलाक़ात परियों जैसी एक बेहद खूबसूरत स्त्री से हुई। बातों का सिलसिला चला तो दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे। ओईसीन ने उस रूपवती स्त्री के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो उसने बताया कि उसका नाम फिन है और वह इस पृथ्वी की नहीं, किसी दूसरे लोक की बाशिंदा है। उस लोक के वासी हजारों साल तक युवा बने रहते हैं। वह पृथ्वी पर रहकर कुछ ही सालों में खुद को और ओईसीन को बूढा होकर मरते नहीं देख सकती। ओईसीन ने उसके साथ दूसरे लोक में जाने की सहमति दी तो फिन अपने उड़ने वाले घोड़े पर बिठाकर उसे एक अद्भुत लोक में ले गई जहां हर तरफ सौंदर्य और प्रकाश था।

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दोनों ने एक दूसरे के प्रेम में डूबकर उस अद्भुत लोक में एक लंबा समय गुज़ारा। उनके तीन बच्चे भी हुए। एक दिन ओईसीन को अपने सगे-संबंधियों और गांव की याद आई।  उसने फिन से कुछ दिनों के लिए अपने गांव जाने की अनुमति मांगी। फिन ने जब उससे कहा कि उसे धरती को छोड़े तीन सौ साल हो चुके हैं और वहां उसे वैसा कुछ भी नहीं मिलेगा जैसा वह सोच रहा है तो वह चौंक गया। फिन के मना करने के बावजूद जब उसने अपने गांव को एक बार देखने की ठान ली तो फिन ने अपना घोड़ा देते हुए उसे इस शर्त पर जाने की अनुमति दी कि वह घोड़े से उतरकर जमीन पर पांव नहीं रखेगा। यदि उसने ऐसा किया तो फिन के लोक में उसकी वापसी असंभव हो जाएगी। ओईसीन अपने गांव आया तो तीन सदियों में वहां सब कुछ बदल चुका था। घर के नाम पर वहां सिर्फ खंडहर था। उसके परिवार की कई पीढ़ी बाद के लोगों ने उसे पहचानने तक से इंकार कर दिया। हताशा में वह फिन की शर्त भूल गया और गांव की नदी में स्नान के लिए जमीन पर उतर गया। जमीन पर पांव रखते ही उसकी युवा देह तीन सौ साल की जीर्ण-शीर्ण देह में तब्दील हो गई। फिन का दिया घोड़ा भी अदृश्य हो गया। वह कई-कई दिनों तक फिन को पुकारता रहा, मगर उसकी आवाज़ कहीं नहीं पहुंची। गांव के लोगों ने उसे पागल समझ लिया। कई सालों तक वह गांव के बच्चों को फिन, उसके प्यार, उनके बच्चों और उस रहस्यमय लोक की कहानियां सुनाता रहा। फिन की कथा सुनाते-सुनाते ही एक दिन उसकी मौत हो गई।


आलेख : पूर्व आई० पी० एस० पदाधिकारी, कवि : ध्रुव गुप्त

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