मानव जाति के इतिहास में जो अंश पठनीय है, वे साहस की ही कहानियों से भरे पड़े हैं. अनेकों वीरों ने असंभव को संभव कर दिखाया था.आम आदमी जिन मुसीबतों का सामना करने से डरते थे, उन वीरों ने उनका सामना किया और विजय प्राप्त की. संसार ने उन्हें आदर्श माना. जैसे.. श्री पार्कमेन अपनी तमाम शारीरिक कमियों के बावजूद वो कर दिखाये जो लोगो के लिए आदर्श बन गए. साहित्य के क्षेत्र में – कालिदास आरम्भ में मुर्ख थे, सुरदास अंधे थे लेकिन उन्होंने ऐसा साहित्य रचा की वे अमर हो गए. महाकवि मिल्टन भी नेत्रहीन थे. उन्होंने ‘पैराडाइज लास्ट‘ जैसे महाकाव्य की रचना की. पृथ्वीराज चौहान ने अपनी नेत्रहीन अवस्था में भी मुहम्मद गौरी को बाण से मर डाला था. ऐसे अनगिनित स्त्री-पुरुष हैं जो शारीरिक दिव्यांग होते हुए भी इतिहास बनाएं. विपरीत परिस्थितियों में भी कुछ कर दिखाना ही असली साहस की कसोटी है.
साहस क्या है ?
आत्मविश्वास ही साहस है. यह आपदाओं का सामना करने में हमारी सहायता करता है. हम अपने अन्दर साहस पैदा कर सकते हैं. आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और अपने प्रति वफादार रहकर हम अपने आप में साहस का बिज बो सकते हैं. तो आईये जानें कुछ महान लोगो के विचार से “साहस से सफलता तक का मार्ग”
स्वेट मार्डेन कहते हैं – व्यक्ति को सदा उसके साहस द्वारा मापा जाता है. यदि उनमे अच्छा करने की इच्छाशक्ति है तो सारी दुनिया उसे पहचानती है. मानव सभ्यता ऐसे व्यक्ति का अनुकरण करती है. उसे याद रखती है, उसके हिम्मत की दाद देती है. साहस का खुराक दुनिया की सबसे अनमोल दवा है. यदि तुम्हारें मन में एक मजबूत इच्छाशक्ति है, हिम्मत है और तुम कुछ बड़ा , कुछ महान कार्य करना चाहते हो ,तो दुनिया की कोई शक्ति तुम्हारें इरादे को नहीं बदल सकती, बल्कि प्रकृति तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुंचने में मदद करती है. इसके विपरीत यदि तुम स्वयं को हीन समझते हो, तो तुम्हारा लक्ष्य भटक जायेगा, स्वयं को हीन मानना और कायरता मनुष्य के प्रगति के रोड़े हैं. ऐसी भावना मनुष्य को तबाह करने के अतिरिक्त उसके स्वस्थ को भी प्रभावित करती है.
आत्मविश्वास और हिम्मत दो सकारात्मक गुण हैं, जबकि भय और चिंता पूर्णत: नकारात्मक. दोनों तरह के गुण तुम में एक साथ निवास नहीं कर सकता. या तो तुम साहसी, उत्साही और आत्मविश्वास से पूर्ण रह सकते हो या फिर एकदम कमजोर और हीं भावना से ग्रस्त. जो वस्तु तुम्हारी साहस को मिटाती है, वह तुम्हारी शक्ति और उत्पादकता को नष्ट करती है.
साहस लगातार मिलते रहे इसके लिए हमें अपनी विचारधारा को बदलना पड़ता है. नहीं तो आप इसे नहीं पा सकते हैं. आपको अपने आप से, रात को सोने से पहले और सुबह उठने के तुरंत बाद, यह कहना होगा.
“मैं यह कर सकता हूँ और करूंगा भी”
इसे एक मन्त्र समझ कर सदेव दोहराते रहें । ऐसा करने से आपका अपने आप में विश्वास बना रहेगा.
ब्राउनिंग मौत के समय मुस्कुरा उठे थे. उनके अंतिम शब्द थे — “सदैव ही मैं एक योद्धा था. चलो एक युद्ध और सही ….अंतिम लेकिन सर्वश्रेष्ठ”
रोम के एक महान दार्शनिक टैकीटस कहते हैं – “The God‘s looks with favoure on superior courage. “अर्थात ईश्वर सदैव महान साहस की तरफदारी करता है”
शेक्सपियर कहते हैं – “साहस अवसर के अनुरूप ही ऊँचा उठ जाता है”
एक विचारक ने कहा है – “हिम्मते मर्दा, मद्दे खुदा ” अर्थात जो वक्ति हिम्मत रखते हैं, ईश्वर भी उनके मदद को तैयार रहते हैं.
Waoo..spectacular
Courageous works..
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