जीवन जीने के प्रयोजन में हम अपने विचारों को किस दिशा में ले जाएँ, हमारा ध्यान कहाँ किन बातों पर होना चाहिए जिससे हम अपने जीवन में समृद्धि की ऊंचाई को छु सकें !
“उस पर ध्यान न दें जो आप नहीं चाहते, बल्कि उस पर ध्यान दें जो आप चाहते हैं ” अत: यह कभी न कहें – ‘मुझे गरीबी नहीं चाहिए’ इस गलत वाक्य के बजाय यह कहना शुरू करें – ‘मुझे समृद्धि चाहिए.’ इसी तरह ‘मुझे उलझन नहीं चाहिए. ‘कहने के बजाय कहें, ‘मुझे सुलझन का आनंद चाहिए’
मनुष्य जाने- अनजाने में या आदतन कई बार ऐसी नकारात्मक पंक्तियाँ दोहराता रहता है- ‘मुझे बीमारी नहीं चहिये…., अनचाहे मेहमान नही चाहिए……, मेरा एक्सीडेंट न हो……, मुझे भ्रष्टाचार न दिखें ……, इत्यादि.
मगर अब क्या नही चाहिए… के स्थान पर कुदरत को बताएँ- ‘मुझे क्या चाहिए ..? ऐसा करने से अनजाने में आप अपने जीवन में जो भी गलत चीजें ल रहें हैं, वे चीजें आना बंद हो जाएँगी.
आपने अपने आस-पास कुछ लोग देखें होंगें, जो डरे-डरे से सिकुड़कर जिवन जीते हैं. ऐसे लोग नकारात्मक शब्द बोल-बोल कर अपने जीवन में समस्याओं को आकर्षित करते हैं. जैसे – कहीं मेरे बच्चे के साथ कुछ गलत न हो जाए. कहीं मेरा एक्सीडेंट न हो जाए. कहीं मुझे फलां बीमारी न हो जाए. कहीं में फैल न हो जाऊं, आदि. फिर कुछ समय बाद उनके जीवन में ऐसी घटनाएँ होने लगे तो इसमें आश्चर्य करने वाली कोई बात नहीं है.
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