EQ यानी Emotional quotient हमारी Feelings से जुड़ा है. इसकी मदद से हम खुद अपने Emotions और दूसरों के Emotions को समझते हैं और उन्हें Manage करते हैं. EQ आपस में अच्छे रिश्ते बनाने और सही वक्त पर सही तरीके से React करने जैसे कामों में हमारी मदद करता है. अगर हम अपने दोस्त या भाई-बहन की बहुत Care करते हैं, उनके साथ चीजें share करते हैं, खाने पीने की चीजें उनके लिए बचाकर रखते हैं, किसी अनजान को भी चोट लगे तो उसे देखकर हमें तकलीफ होती है तो इसका मतलब है हमारा EQ काफी अच्छा है. जो इंसान बहुत बड़ी कामयाबी हासिल करता हैं, उसमें EQ काफी बड़ा Role Play करता है. हमारा कोई भी फैसला IQ के लेवल पर सही साबित हो सकता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है की वही फैसला EQ के level पर भी सहीं हो. IQ हमें सिर्फ Academics में अच्छे Marks दिलवा सकता है पर EQ हमें अपने ज़िंदगी की परीक्षा में अच्छे Marks दिलवाता है. Emotional intelligence का Concept सबसे पहले 1995 मे Goleman ने दिया. उनके अनुसार ज़िंदगी में 20% success IQ के कारण मिलती है जबकि 80% success Emotional Intelligence के कारण मिलती है. जहां IQ आपके जानने समझने और जानकारी को सही जगह Apply करने की एक सही समझ होती है वहीं Emotional Quotient इंसान की खुद की और दूसरों की भावनाओ ( Feelings and Emotions) को समझने और Manage करने की एक कला है.
Note : IQ लेवल के बढ़ने से हम कुछ ज्यादा हीं स्वार्थी हो जाते हैं, वहीं EQ लेवल के बढ़ने से हम कुछ ज्यादा हीं भावुक होते हैं. एक फायदा यह है की जिनका ज्यादा EQ होता है वो जल्दी किसी भी आघात को सम्हाल लेते हैं, रो-धो कर, किसी को तकलीफ बता कर वो जल्दी सामान्य हो जाते, बस यही कार्य IQ वाले नहीं कर पाते. पारिवारिक तथा सामाजिक क्षेत्र में दोनों का संतुलन बना कर चलने वाले सफल होते हैं.
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