क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि लकड़ी की बनी कोई मूर्ति ग्यारह हज़ार साल तक सही-सलामत रह सकती है ? लकड़ी की बनी ऐसी ही एक मूर्ति सवा सौ साल पहले साइबेरियाई पीट बोग के शिगीर में मिली थी जिसे आरंभिक जांच के बाद साढ़े नौ हज़ार साल पुराना घोषित किया गया था।
वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा हाल में की गई रेडियोकार्बन डेटिंग से यह मूर्ति ग्यारह हज़ार वर्षों से भी ज्यादा पुरानी पाई गई है। पुराने लार्च वृक्ष से बनी इस नक्काशीदार मूर्ति के चेहरे में आंखें, नाक और मुंह तो है, लेकिन नीचे का शरीर सपाट और आयताकार है। मूर्ति में मुख्य चेहरे के अतिरिक्त अलग-अलग कोणों से देखने पर कई और चेहरे भी दिखते हैं।.विश्व के सबसे बड़े आश्चर्यों में एक इस मूर्ति को रूस के येसटेरिनबर्ग के म्यूजियम में प्रदर्शन के लिए रखा गया है। दुनिया की यह प्राचीनतम काष्ठ-रचना की उम्र मिस्र के पिरामिड से भी दोगुनी है ! ‘शिगीर आइडल’ के नाम से प्रसिद्द इस मूर्ति के हर तरफ अज्ञात लिपि में कुछ शब्द खुदे हुए हैं जिन्हें आजतक नहीं पढ़ा जा सका है। इस लिपि को समझने में लगे शोधकर्ताओं का कहना है कि रहस्यमय लिपि में ये हमारे प्राचीन पुरखों के संदेश हो सकते हैं। परग्रही विज्ञानी मानते हैं कि प्रस्तर युग में अत्याधुनिक तकनीक से रक्षित ऐसी मूर्ति का निर्माण उस दौर के लोगों से संभव नहीं है। यह एलियंस की रचना हो सकती है जिन्होंने मूर्ति पर अपनी भाषा में हमारे लिए कोई संदेश लिख छोड़ा है। सच जो भी हो, इस लिपि को ‘डिकोड’ करने के बाद प्राचीन विश्व के कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।
तुम मुझे पढ़ सको अगर तो पढ़ो
मेरा चेहरा भी है, ज़ुबान भी है !
लेखक : पूर्व आईपीएस अधिकारी “ध्रुव गुप्त”
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