कविता – नेताजी सुभाषचंद्र बोस


subhash chandra bosh

महान स्वतंत्रता सेनानी,  जिनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है, जय हिन्द के घोष करने वाले, ऐसे महापुरुष नेताजी सुभाषचंद्र बोस से संबंधित एक कविता.

जय हिन्द 

है समय बड़ा बलवान, प्रवल पर्वत झुक जाया करते हैं ।

है समय नदी की धार,  की जिसमें सब बह जाया करते हैं ।

अक्सर दुनिया के लोग,  समय में चक्कर खाया करते हैं ।

फिर भी कुछ ऐसे होते है,  इतिहास बनाया करते हैं ।

ऐसे ही एक इतिहास पुरुष की,  अनुपम अमर कहानी है ।

जो रक्त कणों से लिख गए,  जिनकी जय हिन्द निशानी है ।

नेता सुभाष, प्यारा सुभाष,  भारत भू का उजियाला था ।

पैदा होते अहि गणिको ने,  जिनका भविष्य लिख डाला था ।

ये वीर चक्रवर्ती होगा,   त्यागी होगा या सन्यासी ।

जिसके गौरव को याद करेंगे,  युग-युग तक भारतवासी ।

था समय धूर्त दुर्योधन को,  छल कर यदुनंदन आये थे ।

था समय वीर शिवाजी को,   पहरेदार छकाए थे ।

उसी तरह ये तोड़ पिंजरा,  तोता सा बेदाग गया ।

16 अगस्त सन पेंतालिस,  अज्ञातवास की और गया ।

वह कहाँ गया और कहाँ है अब,  धूमिल में अभी कहानी है ।

जो रक्त कणों से लिख गए,  जिनकी जय हिन्द निशानी है, 

जिनकी जय हिन्द निशानी है ।।

                                               ( लेखक अज्ञात )


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