एक ऐसे व्यक्तित्व जो भारत के लिए ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए एक अनुकरणीय आदर्श हैं । विचारों के ओवरडोज़ में प्रस्तुत है युवा शक्ति के प्रणेता स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणात्मक विचार ।
अपनी अद्वितीय प्रतिभा, ज्ञान, आदर्श, विवेक, संयम और चारित्रिक गुणों के साथ–साथ धर्म तथा दर्शन की व्याख्या करने वाले वे ऐसे भारतीय थे, जिन पर समस्त भारतवर्ष को हमेशा गर्व रहेगा । स्वामी विवेकानंद ऐसे नवयुवकों का निर्माण करना चाहते थे, जिनमे लौह जैसी शक्ति हो, स्वस्थ मस्तिष्क हो, बिना भेद-भाव के एक दुसरे के प्रति प्रेम व विश्वास हो । देश के प्रति बलिदान की भावना हो । सहन शक्ति के साथ-साथ गरीबों और असहायों के प्रति सहानभूति हो । हिन्दू धर्म तथा भारतीय धर्म की गौरव पताका विश्व के क्षितिज पर फ़हराने वाले इस महान व्यक्तित्व के महान कार्यो के लिए भारतवर्ष सदेव ही उनका ऋणी रहेगा ।
स्वामीजी का दिव्य संकल्प था –
“उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये ।”
स्वामीजी के कुछ प्रेरक सूक्ति / अनमोल विचार
Swami Vivekananda‘s famous Quotes in Hindi
Quote 1. आत्मा परमात्मा का अंश मात्र है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 2. दयाशील अंत:करण प्रत्यक्ष स्वर्ग है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 3. आत्मविश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 4. स्वाधीनता विकाश का प्रथम चरण है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 5. एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 6. आत्मविश्वास ही भावी उन्नति का मूल पाया है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 7. परिश्रम ऋण को चुकता है, आलस्य उसे बढ़ता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 8. अपने ही दोष ढूंढ़ निकालना ज्ञानवीरों का काम है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 9. जितना भी भीतर से त्यागोगे, उतना ही सुख पाओगे ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 10. इच्छाएँ कभी तृप्त नहीं होतीं । अत: इनको नियंत्रित रखो ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 11. पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम – ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 12. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 13. मैं संस्कारों में विश्वास नहीं करता, स्वाभाविक उन्नति का विश्वासी हूँ ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 14. ‘जब तक जीना, तब तक सीखना’ – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 15. यह संसार कायर पुरुषों के लिए नहीं है, पलायन करने का प्रयास मत करो ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 16. तुम्हें कर्महीन जीवन व्यतीत करते देख मुझे अपार दुःख की अनुभूति होती है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 17. हमारा उदेश्य संसार के प्रति भलाई करना है, अपने गुणों का गुणगान करना नहीं ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 18. जितना ही हम अध्ययन करते हैं, उतना ही हमको अपने ज्ञान का आभास होता जाता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 19. मनुष्य जिस समय पशुतुल्य आचरण करता है, उस समय वह पशुओं से भी निचे गिर जाता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 20. उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 21. तमाम संसा हिल उठता । क्या करूँ धीरे-धीरे अग्रसर होना पड़ रहा है । तूफ़ान मचा दो तूफ़ान !
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 22. “संस्कारशीलता वस्त्र या आभूषण आदि से नहीं, बल्कि कर्म की श्रेष्ठता से प्रतिबिंबित होती है ।”
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 23. अज्ञानता से मुक्त होकर ही हम पाप से मुक्त हो सकते हैं । अज्ञानता उसका कारन है, जिसका फल पाप है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 24. बुरी सोहबत से उसका न होना ही अच्छा है; क्योंकि दूसरों की गुण की अपेक्षा दोषों को जल्द ग्रहण कर लेते हैं ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 25. द्वेष और कपट को त्याग दो । संगठित होकर दूसरों की सेवा करना सीखो, यही हमारी देश की पहली आवश्यकता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 26. अपवित्र कल्पना भी उतनी ही बुरी है, जितना बुरा अपवित्र कर्म । संयमित इच्छा ही सर्वोच्च परिणाम पर ले जाती है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 27. जब कोई विचार अन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है, तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 28. पुराने धर्मो ने कहा है कि नास्तिक वह है, जो ईश्वर में विश्वास नहीं करता । नया धर्म कहता है कि नास्तिक वह है, जो अपने आप पर विश्वास नहीं करता ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 29. आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्म संघ में बना रहना अवांछनीय है । उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 30. हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 31. संसार में आधे से अधिक लोग तो इसलिए असफल हो जाते हैं कि समय पर उनमे साहस का संचार नहीं हो पता और वे भयभीत हो उठते हैं ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 32. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 33. यदि तुम्हारा अहंकार चला गया है, तो किसी भी धर्म पुस्तक की एक पंक्ति भी पढ़े बिना व किसी भी देवालय में पैर रखे बिना, तुम जहाँ बेठे हो, वहीँ मोक्ष प्राप्त हो जायेगा ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 34. तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ । जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 35. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है,ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है. अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 36. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 37. असफलताएं कभी-कभी सफलता का आधार होती हैं । यदि हम अनेक बार भी असफ़ल होते हैं, तो कोई बात नहीं । प्रयत्न करके असफ़ल हो जाने की अपेक्षा प्रयत्न ना करना अधिक अपमानजनक है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 38 हमारे ह्रदय में प्रेम, धर्म, और पवित्रता का भाव जितना बढ़ता जाता है, उतना ही हम बाहर प्रेम, धर्म, और पवित्रता देख सकते हैं । हम दूसरों की कार्यो की जो निंदा करते हैं, वह वास्तव में हमारी अपनी ही निंदा है ।
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
Quote 39. मानवता का संचार उनके ह्रदयों में नही होता जो सच्चाई छिपाते हैं और गलतियां करते हैं, यह केवल उनके ह्रदय में होता है जो मन के सच्चे और भोले होते हैं, बिलकुल बच्चों की तरह, अतः जब कभी तय न कर पाओ कि तुम जो करने जा रहे हो वह सही है, या गलत तो बच्चों के पास जाओ – वे बता देंगे, सही क्या है ?
– स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda
निवेदन : कृपया स्वामी विवेकानंद / Swami Vivekananda जी के विचारों को अधिक से अधिक शेयर करें !
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