जय मिथिला-जय मैथिली के युग्म से पैदा हुआ एक आंदोलन आजकल हॉट केक बना हुआ है। दरभंगा से दिल्ली तक हर वीकेंड पर इसकी पारम्परिक आहट आप महसूस कर सकते हैं। इसकी डिटेल रिपोर्टिंग और रणनीति फेसबुक पर 24/7 देख सकते हैं । कुछ बहुत सक्रीय संगठनों का दावा है कि बस अब क्रान्ति का फाइनल स्टेज लॉन्च होने ही वाला है ।
फिलहाल दरभंगा, मधुबनी,सहरसा, दिल्ली आदि जगहों पर लॉंन्चिंग पैड के लिए जगह ढूंढा जा रहा है । अलग अलग लॉजिक है लेकिन समस्या ये है कि कलाम टाइप कोइ सर्वमान्य शख्सियत नहीं है । फिर तो कुछ लोग अपने पॉकेट और मुठ्ठी से ही लॉन्च कर देने की बात कर रहे हैं । हर बार की तरह यहां भी एक विपक्ष है । कोई कीबोर्ड तोड़ कर फायरिंग करता है । कोइ राज्यपाल तो कोइ चीफ मिनिस्टर है । भीष्म पितामह भी लगभग बाण सैय्या पर हैं और दुर्योधन हर दिन एक नए कर्ण को मोहरा बना रहा है । कुल मिलाकर एक मासालेदार प्लैटफॉर्म बन रहा है आंदोलन का । विचारबिंदु भी इस मसले पर गिद्ध टाइप नजर रखे हुआ है । तो आइये जानते हैं इस वैचारिक ओवरडोज में आंदोलन की अंदरूनी हकीकत
प्रवीण कुमार झा की कलम से ……..
मैथिली मिथिला आन्दोलन संभवतः अब पचास वर्ष पुराना है. नतीजा – सिफर और कारण – हर मैथिल दूजे मैथिल से ज्यादा समझदार होता है. कितने नेता हुए… कितने खप गये… कितने अब तक टिके हैं… सब महान और पूज्य थे.. हैं.
चूँकि भूतकाल से मेरा कम लगाव रहा और मैं वर्तमान में भी भविष्य को सुधारने वाले कार्य ही पसंद करता हूँ.. मुझे वर्तमान के सकारात्मक लोगों में ज्यादा दिलचस्पी है. मिथिला के नाम पर मैं किसी खास दल, सेना या संस्था को पसंद नहीं करता बल्कि सभी संस्था के अच्छे लोग मुझे अच्छे लगते हैं.
इस आन्दोलन में हालाँकि अच्छे लोगों पर अन्य बांकी बचे कम अच्छे लोग हावी हैं किन्तु मुझे ख़ुशी इस बात की है की कम से कम अच्छे लोग इस आन्दोलन से अब तक जुड़े हैं. मेरे हिसाब से यही बात इस आन्दोलन में आशा का संचार करती लगती है.
अब किसी भी मुद्ददे पर हर व्यक्ति की अपनी निजी राय होती है.. सो मेरी भी है. मेरी समझ में भुत काल में इस आन्दोलन की असफलता के मुख्य कारण हैं –
– अच्छे नेतृत्व का अभाव…
– कमजोर, सशंकित, छोटी सोच रखने वाले और स्वगाथा गाण वाले लोग
– एको हम द्वितीयो नास्ति वाले नेता ज्यादा रहे हैं इस आन्दोलन में.
– सामरिक योजना और दूरगामी सोच का अभाव.
– अपने नीचे की टीम को तैयार न करते हुए सिर्फ उनका इस्तेमाल अपनी महानता कायम रखने को करना.
– मिथिला मैथिल से ज्यादा किसी राष्ट्रिय दल के प्रति झुकाव्
– समयबद्ध परिणाम के लिए काम के बजाय बस करते रहने के लिए काम करना
अब भूतकाल को छोड़कर यदि हम आज की स्थिति का आंकलन करें तो मुख्य रूप से तीन प्रमुख संगठन फिलहाल सक्रीय दिख रहे हैं. मिरानिसे/ M S U और अखिल भारतीय मिथिला पार्टी. कमोबेश तीनो संस्था कुछ न कुछ अच्छा कर रही है. तीनो जगह कुछ निजी स्वार्थ वाले, कुछ विघटनकारी, कुछ कुछ भी करते रहने वाले लोग, कुछ करवाने वाले (नचाने वाले) तो अपना सब कुछ झोंक देने वाले लोग भी हैं.
उस एक मानव की संख्या इन सबमे सबसे ज्यादा है जिन्हें ये नहीं पता की मैं जो कर रहा हूँ क्यों और इसका क्या नतीजा निकलेगा..इससे मिथिला राज्य बनेगा, मिथिला का विकास होगा या कोई नेता बनेगा. मुझे इस जनसँख्या से सहानुभूति है.
बात को ज्यादा न चेथारते हुए, मेरी समझ में वर्तमान में असफल (अबतक) रहने के कुछ कारण:
– संस्थाओं का आपसी द्वंद्ध… मिथिला से ज्यादा एक दुसरे के खिलाफ लड़न
– कुशल नेतृत्व का अभाव जो सबको ज्यादा दिन तक बांध सके, एक रख सके
– राज्य या विकास कैसे … इस बात की कानूनन अज्ञानता
– संस्था के सदस्यों का राजनैतिक दलों की कठपुतली बन जाना
– संस्था या इलाके में खुद को सबसे बड़ा नेता समझने समझाने का लालच
– संस्था के बजाय खुद का हिडेन एजेंडा रखना
– मेटरो सिटिज में रहने वाले और मिथिला में रहने वाले नेताओं के बीच की खाई – आपस में भरोसे का अभाव और इससे धन का अभाव.
जैसा की ऊपर लिखा है मैंने, इस आन्दोलन में उस आम जन की संख्या सबसे ज्यादा है जिन्हें ये नहीं पता की मैं जो कर रहा हूँ क्यों और इसका क्या नतीजा निकलेगा… इससे मिथिला राज्य बनेगा, मिथिला का विकास होगा या कोई नेता बनेगा – ऐसे लोगों को सबसे पहला काम एक मंच पर आने का करना चाहिए… दूजा काम अच्छे को अच्छा, बुरे को बुरा करना आना चाहिए.. तीजा – आत्ममंथन जरूर करें… क्यों क्या कब .. जरूर सोचें… भगवान के लिए… जानकी के लिए…
आइये हम सब गुटबाजी छोड़कर हर अच्छे क़दम का समर्थन करें… एक मंच पर आएंगे तो आर्थिक कुपोषण भी दूर होगा.. कुछ नहीं तो अपने समाज की कुरीतियों को कम कर ही सकते हैं हम आप… ज्यादा नहीं तो जाति और धर्म से उठकर कम से कम एक मैथिल को उठा ही सकते हैं.. अपने निकम्मे जन प्रतिनिधियों से सवाल जवाब करें और गलत लोगों को इससे अलग करें. आज की तारीख में गन्दगी दूर करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए…
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