सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जी अपनी पोती आराध्य और नातिन नव्या के नाम एक पत्र लिखे जो बेटियों के लिए सबक और समाज के लिए नसीहत है. जिसे उन्होंने फेसबुक के माध्यम से सार्वजनिक किया है. और उन्होंने लिखा है कि ‘यह ख़त इसीलिए लिख रहा हूँ क्योंकि यह सिर्फ तुम्हारे लिए ही नहीं बल्कि सभी ग्रेंड डॉटर के लिए है.’
नमस्ते आराध्या, मैं नहीं जानता ये तुम कब पढ़ोगी, लेकिन ये 2016 में मेरी सोच है. नव्या नवेली, हैलो, नमस्ते. मेने तुम दोनों को एक चिट्ठी लिखी है. और वही में पढ़ कर सुना रहा हूँ. मैं इसे इंटरनेट पर भी डालूँगा. क्योंकि मुझे लगता है ये चिट्ठी सिर्फ तुम दोनों के लिए नहीं बल्कि हर ग्रेंड डॉटर के लिए है. ठीक है ….
माय वेरी नियरेस्ट नव्या और आराध्या, तुम दोनों के नाजुक कंधों पर बेहद अहम विरासत की जिम्मेदारी है. आराध्या, अपने परदादाजी डॉ. हरिवंश राय बच्चन और नव्या अपने परदादाजी श्री एचपी नंदा की विरासत सम्भाल रहीं हैं. तुम दोनों के परदादाओं ने तुम्हारें मौजूदा पारिवारिक नामों को पहचान, सम्मान और शोहरत दी. तुम दोनों नंदा या बच्चन हो सकती हो, लेकिन तुम लकड़ियाँ भी हो, महिला…! और चुकी तुम महिला हो, लोग अपनी सोच, अपनी सीमाएं तुम पर थोपेंगे. वे तुम्हें बतायेंगे की तुम्हें कैसी पौशाक पहननी चाहिए. तुम्हें कैसे बर्ताव करना चाहिए, तुम्हें किससे मिलना चाहिए, तुम्हें कहाँ जाना चाहिए. पर लोगों के फैसलों की छाया में न रहना. अपनी समझ से अपने फैसले खुद करना.
किसी को भी तुम्हें यह एहसास मत दिलाने देना कि तुम्हारी स्कर्ट के लम्बाई से तुम्हारे चरित्र को जांचा या मापा जा सकता है. तुम्हें किससे दोस्ती करनी चाहिए, इसे लेकर किसी भी और की सलाह से अपने दोस्त तय नहीं करना. शादी सिर्फ इसी वजह से करना, क्योंकि तुम ऐसा करना चाहती हो, किसी भी और वजह से नहीं. लोग बाते करेंगे… वे बहूत बुरी बातें भी कहेंगे… लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि तुम्हें सबकी सुननी होगी. कभी इस बात की चिंता न करना लोग क्या कहेंगे…! आखिरकर, तुम्हें ही अपने फैसलों का अच्छा-बुरा परिणाम भुगतना होगा. सो किसी भी और को अपने फैसले मत करने देना.
नव्या तुम्हारे नाम और पारिवारिक नाम से जो पहचान हासिल है, वह तुम्हें उन परेशानियों से नहीं बचा सकती, जिनका सामना तुम्हें महिला होने के नाते करना होगा. पर नकारात्मकता से खुद को हताश मत करने देना. क्योंकि इंसान में बहुत-सी अच्छाईयां भी हैं.
आराध्या जब तक तुम इस खत को पढने और समझने लायक होगी, तब तक मैं शायद यहाँ न रहूँ. लेकिन मेरी समझ कहती है कि जो कुछ में कह रहा हूँ, वह तब भी प्रासंगिक होगा. महिलाओं के लिए इस दुनियां में जीना बहुत-बहुत मुश्किल हो सकता है, लेकिन मुझे विश्वास है कि तुम जैसी महिलाएं ही इन हालात को बदल डालेंगी.
तुम्हारे लिए अपनी सीमाएं तय करना, अपने फैसले खुद करना, लोगों के फैसलों को नकारकर ऊपर उठना आसान नहीं होगा. लेकिन तुम…. तुम सारी दुनियां की महिलाओं के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर सकती हो. ऐसा कर दिखाओ, और तुम्हारी उपलब्धी मेरे सभी उपलब्धियों से कहीं ज्यादा साबित होंगी. और यह मेरे लिए बेहद सम्मान की बात होगी कि मैं अमिताभ बच्चन के तौर पर नहीं, तुम्हारे दादा और नाना के रूप में जाना जाऊं.
विद ऑल माय लव
तुम्हारा दादा और तुम्हारा नाना ……….
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