यह प्रसंग अमेरिका के एक छोटे से बच्चे की है, जिसका नाम डिफोस्ट था । जो विषम परिस्थिति में भी अपने सपने को साकार किया एक छोटी सी चिड़ियाँ से प्रेरणा ले कर…….
डिफोस्ट का बचपन
कई वर्ष पहले की बात है । संयुक्त राज्य अमेरिका में डीफोस्ट नाम का एक लड़का रहता था । पढने-लिखने में उसकी बहूत अधिक रूचि थी । गणित के सवाल विशेष रूप से दिलचस्प लगते थे ।
अचानक एक दिन डीफोस्ट के पिता का निधन हो गया । उसके सारे सपने चकनाचूर हो गए | परिवार के सारे जिमेदारी का बोझ नन्हे मासूम डीफोस्ट के नाजुक कंधो पर आ गया । उसके पिताजी जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे, इसलिए उसकी माँ उसे भी उसी काम में लगा दी ।
खेलने की उम्र में काम और ज़िन्दगी की सीख
बेचारा मुसीबत के मारे क्या करता । उसने विद्यालय जाना बंद कर दिया और अपने जूते –चप्पल बनाने के काम में लग गया एक दिन जब डीफोस्ट नये जूते, जो उसने बनये थे उन्हें धुप में सूखने के लिए रखने जा रहा था, तभी उसकी नजर एक चिड़िया पर गई । चिड़िया को देखते उसे याद आया कल ही मोहल्ले के एक शरारती लड़के ने उसका घोंसला उजाड़ दिया था । आज वही चिड़िया अपने घोंसले को बनाने के लिए एक-क तिनका चुन-चुन कर इकट्टा कर रही थी और अपने घोंसले को बनाने में पूरी तन्मयता से जुटी हुई थी ।
चिड़िया के इस काम को देख कर डीफोस्ट की आँख चमकने लगीं । उसने कुछ मन ही मन निश्चय किया जैसे उसे नई शक्ति मिली, नई प्रेरना मिली ।
अब वह नए जूते बनाकर धुप में सूखने के लिए रख देता और अपने इस खाली समय में वह गणित की किताबे पढने में व्यस्त हो जाता और जब जूते सुख जाते, तो वह उस जूते को बनाने की बाद की प्रक्रीया में जुट जाता । इसी तरह डीफोस्ट ने मध्यिक स्तर से उच्च शिक्षा ग्रहण की और गणितज्ञ बन गया ।
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