Analysis / समीक्षा
![image of Praveen Kumar jha](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/06/image-of-Praveen-Kumar-jha.jpg)
सोशल मीडिया का बढ़ता दबाव और ख़ुद को भुलाते हम !
“यूँ तो हमारे ऊपर सोशल मीडिया का दबाव इस क़दर तक बढ़ चला है कि हम ख़ुद का हीं स्वाभाविक चाल चरित भूल गए हैं, किंतु हालात सोचनीय इस बात को लेकर है की इस होड़ में कई बार हम ख़ुद तक को धोखा देने लगते हैं”
![ruchi smriti](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/05/ruchi-smriti.png)
इश्क कीजिए, फिर समझिये, ज़िन्दगी क्या चीज है..
अवसाद बीमारी है ! बहुत भयंकर वाली । जिसका इलाज समय से ना होने पर लोग जीते जी जिन्दा लाश की तरह होते हैं । आत्महत्या करने का जी करता है ! आज कल के समय में यह किसे और कब हो जाए कुछ पता नहीं । सामाजिक रूप से मान-मर्दन, शारीरिक रूप से बिमार, …
![Karl_Marx](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/05/Karl_Marx.jpg)
डियर कार्ल मार्क्स !
जब आपके अनुयायी पिछले दस सालोँ में जे.एन.यू मे दलितोँ के उत्थान, गरीबोँ को न्याय इत्यादि पर सेमिनार आयोजित कर रहे थे, तो भारत के निम्न मध्यम वर्गीय परिवार का दो यूवक फ्लिपकार्ट बनाने में जुटे थे.
![Bad journalism](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/05/Bad-journalism.jpg)
थोड़ी सी दारू मिल जाय तो ऑर्केस्ट्रा को भी लाइव कर देंगे पत्रकार जी !
जमीन बदल गई तो मायने बदल गए। मायने बदले तो चेहरा बदल गया,रहन-सहन और जीवन की शर्तें बदल गईं। वैश्विक अर्थशास्त्र की इस बाढ़ के चलते खासा बदलाव आ गया है समाज में। तो फिर कैसा पत्रकार और कैसा दिवस।
![fear-of-rape](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/05/meherjaan-still-9-fear-of-rape.jpg)
जैसे कैंसर का ईलाज़ सिगरेट की डब्बी तोड़ना नहीं हो सकता
अगर कोई शख़्स कैंसर से जूझ रहा हो तो उसका ईलाज़ सिर्फ सिगरेट की डब्बी तोड़ देने भर से नहीं हो सकता । अगर सिगरेट ही उसकी बीमारी की वजह रही हो फिर भी नहीं बल्कि ईलाज़ का सही तरीक़ा ज़रूरी होता है ।
![Gender Sensitization vicharbindu](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/04/Gender-Sensitization-vicharbindu.png)
लिंग विभेद / Gender Sensitization
महिलाओं को सबसे अधिक शोषित महिला ही करती है । खेत बेच के बेटा को IIT की तैयारी के लिए भेज दो ! और बेटी “बी.ए.ड” कर ले तो बहुत है । एक बहु के लिए उसका ससुर सबसे अच्छा इंसान होता है लेकिन सास दुनियाँ की सबसे बेकार औरत आखिर क्यों ? ये हजारों …
![stress-in-students exams acam](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/03/stress-in-students-exams-acam.jpg)
जब पहली बार मेरा परिचय “पेपर लीक” शब्द से हुआ
मैं अभी कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल टायर- टू की परीक्षा से निकला ही था कि देखा कुछ परीक्षार्थी ग्रुप बनाकर मोबाइल में व्यग्रता से झांकते उसमें घुसे जा रहे थे। उनके चेहरे पर निराशाजनित आक्रमकता थी जो शनैः शनैः उनके क्रियाकलापों पर हावी होता जा रहा था।
![LNMU](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2018/02/LNMU.png)
एक नहीं अनेक लड़ाइयाँ समाहित हैं
इस आलेख में, हिंदी मैथिली के प्रखर युवा कवि विकास वत्सनाभ छात्र आन्दोलन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान और भविष्य के सामंजस्य का साधारण बोध करवाते हुए प्रतीत होते हैं । पढिये एक स्पष्ट चिंतन पर आधारित यह आलेख “एक नहीं अनेक लड़ाइयाँ समाहित हैं”
![avinash bharadwaj](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2017/03/avinash-bharadwaj.jpg)
पटना के बालकनी से
दिल्ली एक प्यारा सा छत था, तो पटना में बालकनी । बस यही अंतर आया है मेरे जीवन में 1000 किलोमीटर की दूरियाँ बढने के बाबजूद ।
![ashutosh jha](https://www.vicharbindu.com/wp-content/uploads/2017/12/ashutosh-jha.jpg)
सम्मान करें,अपनी सृजनहार का !
कई सदियां बीत गई शताब्दियां बीत गई सहस्त्राब्दियाँ बीत गई पर एक त्याग अथवा बलिदान जो मुख्य रूप से देखा गया और जिस की अवहेलना भी की गई वह है