संघर्ष ही इंसान को जीना सिखाता है


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एक बार एक अध्यापक बच्चों को कुछ सीखा रहे थे. उन्होंने एक छोटे बरतन में पानी भरा और उसमें एक मेंढक को डाल दिया, पानी में डालते ही मेंढक आराम से पानी में खेलने लगा. अब अध्यापक ने उस बर्तन को गैस पर रखा और नीचे से गर्म करना शुरू किया. जैसे ही थोड़ा तापमान बढ़ा तो मेंढक ने अभी अपने शरीर के तापमान को थोड़ा उसी तरह adjust कर लिया. अब जैसे ही बर्तन का थोड़ा तापमान बढ़ता तो मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी उसी तरह adjust कर लेता और उसी बर्तन में मजे से पड़ा रहता.

धीरे-धीरे तापमान बढ़ना शुरू हुआ, एक समय ऐसा भी आया जब पानी उबलने लगा और अब मेंढक की क्षमता जवाब देने लगी. अब बर्तन में रुके रहना संभव ना था, बस फिर क्या था मेंढक ने बर्तन से बाहर निकलने के लिए छलांग लगायी लेकिन अफ़सोस ऐसा हो ना सका. मेंढक अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद उस पानी से भरे बर्तन से नहीं निकल पा रहा था क्यूंकि अपने शरीर का तापमान adjust करने में ही वो सारी ताकत खो चुका था. कुछ ही देर में गर्म पानी में पड़े-पड़े मेंढक ने प्राण त्याग दिए.

अब अध्यापक ने बच्चों से पूछा कि मेंढक को किसने मारा तो कुछ बच्चों ने कहा – गर्म पानी न लेकिन अध्यापक ने बताया कि मेंढक को गर्म पानी ने नहीं मारा बल्कि वो खुद अपनी सोच से मरा है. जब मेंढक को छलांग मारने की आवश्यकता थी उस समय तो वो तापमान को adjust करने में लगा था उसने अपनी क्षमता का प्रयोग नहीं किया लेकिन जब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया तब तक वह कमजोर हो चुका था.

यह हम सब लोगों के जीवन की भी कहानी है. हम अपनी परिस्थितियों से हमेशा समझौता करने में लगे रहते हैं. हम परिस्थितियों से निकलने का प्रयास नहीं करते उनसे समझौता करना सीख लेते हैं और सारा जीवन ऐसे ही निकाल देते हैं और जब परिस्थितियां हमें बुरी तरह घेर लेती हैं तब हम पछताते हैं कि काश हमने भी समय पर छलांग मारी होती.

अच्छी बुरी हर तरह की परिस्थितियां इंसान के सामने आती हैं लेकिन आपको परिस्थितियों से समझौता नहीं करना है. बहुत सारे लोग बुरी परिस्थितियों को अपना भाग्य मानकर ही पूरा जीवन दुखों में काट देते हैं. बहुत अफ़सोस होता है कि लोग समय पर छलांग क्यों नहीं मारते. “संघर्ष ही इंसान को जीना सिखाता है”

“कोई फरिश्ता तुम्हारे आंसू पौंछने नहीं आएगा, कोई फरिश्ता तुमको ऊँगली पकड़ के सफलता तक नहीं ले जायेगा. अगर कोई इंसान आपकी मदद कर सकता है तो वो हैं आप खुद.  आप ही वो इंसान है जो खुद को सबसे बेहतर तरीके से जानते हैं. खुद को मरने मत दीजिये अपने अंदर के जोश को ठंडा मत होने दीजिए. उठिए देखिये आपकी मंजिल आपका इंतजार कर रही है”

स्वामी विवेकानंद
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4 Comments

  1. prahlad raj
    June 26, 2016
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    bahut nik rajnish bhai

    • June 26, 2016
      Reply

      धन्यवाद प्रह्लाद भाई ।

  2. June 30, 2016
    Reply

    धन्यवाद दीपक जी ।

  3. July 24, 2016
    Reply

    Very nice

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