एक हार से न कोई फकीर और एक जीत से न कोई सिकंदर बनता ? चंदन ठाकुर की कलम से !
जी हां जैसा कि हम सभी इस बात से वाकिफ है कि कल कलर्स टीवी पर क्या हुआ ? जब सारे लोग इस उम्मीद में थे कि राइजिंग स्टार की सबसे प्रबल दावेदार मैथिली ही जीतेगी । इसके बावजूद फैसला ठीक समझ के विपरीत हुआ । क्योंकि यह एक सोची – समझी रणनीति के हिस्सा का शिकार हुई । एक विशेष वर्ग के कुछ बीमार मानसिकता के लोग ने अपनी जात दिखा दी । खैर ये तो सिद्ध हो गया कि आज से 33 साल पहले भी वो सुधरे नहीं थे और आज 33 साल बाद भी वो अपने कौम को बदनाम करने पर तुला है । इसीलिये उसने इसे और प्रबल कर दिया कि जोक उन्हीं पर क्यों बनते हैं ? लेकिन मैथिली तो सुर की देवी है । हम सभी आशा रखते हैं कि वो इस फैसले से हतोत्साहित नहीं होगी । क्योंकि किसी एक कार्यक्रम के खत्म हो जाने से सारी दुनिया खत्म नहीं हो जाती । उसने अपने प्रतिभा के बदौलत फाइनल तक का सफर तय की । उसने जीवन के 16वें बसंत में ही राष्ट्रीय पटल पर जो कर दिखाया है वो अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय है । और यह साबित कर दिखाया कि आज भी अगर सही तरीके से गाया जाय तो क्लासिकल और शास्त्रीय संगीत के सुनने और चाहने वाले कम न हैं । वो तो क्लासिकल और शास्त्रीय संगीत को ऐसा गाया कि आज लोगों का नजरिया ही बदल दिया । लेकिन कोई चैनल रोपे पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से पाएगा । आज के बाद कोई अधिकार नहीं किसी चैनल को बोलने का कि आज देश की अपनी देशी संगीत बीच मजधार में डूब रही है । क्योंकि अपनी देशी संगीत को जब कंधा देने का काम मैथिली ने की तो उसके पड़ को ही कतर डाला गया । लेकिन उसे यह नहीं पता है कि वो मैथिली को सोची समझी रणनीति के तहत राइजिंग स्टार हरा सकते हैं । लेकिन उसके फौलादी जुनून को नहीं ।
मुझे याद है एक निजी खबरिया चैनल को दिये हुए इंटरव्यू में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि शाहरुख खान से मैंने पूछा कि तुम बॉलीवुड में जाना चाहते हो । वहाँ प्रतियोगिता काफी टफ है । वहाँ तुम्हें आगे बढ़ने नहीं जाएगा । तो शाहरुख ने जवाब दिया था कि मेरा प्रतियोगिता दुनिया से नहीं है , खुद से है । तो नवजोत ने कहा कि जरूर ये लड़का एक न एक दिन बहुत आगे जायेगा । और रिजल्ट आपके सामने हैं । तो कहीं न कहीं आज भी सिद्धू की कही बात चरितार्थ हो गया । इसीलिये वो दिन दूर नहीं जब मैथिली भी सफलता के शीर्ष का खिताब जीतेगी । बस उस पल का इंतजार करें । क्योंकि कल का दिन मैथिली का न था । लेकिन आने वाले कल का दिन मैथिली का होगा ।
क्योंकि
ताश के पत्तों से महल नहीं बनता,
नदी को रोकने से समंदर नहीं बनता ,
बढ़ाते रहो जिंदगी में हर एक पल,
दुनिया को जीतने का हौसला रखो ,
एक हार से न कोई फकीर और ,
एक जीत से न कोई सिकंदर बनता !
Kya khub kahi aapne….. sau taka sach baat hai…..Aur waise bhi maithili haar kar bhi jeet chuki hai kuki Har taraf maithili ke sath hue nainsafi ki hi charcha h…. Maithili ka future bht bright hai….