जानिए हम कितने सहिष्णु हैं ?


sonu-nigam

हम सब पूरे खलिहर हैं । एक बार और ये बात साबित कर दिये । पता नहीं क्यों हम एक सड़क छाप मुद्दे को राष्ट्रीय विपत्ति बनाने पर तूल जाते हैं । फेसबूक पे दो खेमा है…और हर खेमा किसी न किसी बयान के लिए काग दृष्टि लगाए रहते हैं, मुद्दा आया नहीं कि लगे गिद्ध की तरह नोचने । इस लाइक और कॉमेंट से अपना स्टेट्स मापने वाले हर मुद्दे पर विशेषज्ञ बन जाते हैं । जितना सोनू  निगम  के बयान से लोगों ने बात न जानी उतना फेसबूक पर उल्टियाँ करके हमने बदबू फैला दी । आखिर ये उनका निजी बयान था उनकी सोच थी हमको क्या लेना था इससे लेकिन नहीं हर बात में टांग अड़ाना हमारी फितरत है । आखिर वो कोई सत्ता नहीं न ही कानून विशेषज्ञ जिसके बोल देने से कानून बन जाएगा, लेकिन हम हर बात पे तपाक से राय बना लेते हैं ।

वैसे मैं बता दूँ कि मेरा बचपन समस्तीपुर के स्टेशन के ठीक बगल में रेलवे क्वाटर में बीती है जहां 24 घंटे बेहिसाब शोर रहता था, लेकिन मुझे कोई दिक्कत न हुई कारण मैं अभ्यस्त हो गया था । वहीं मेरे गाँव से कोई आता तो कहता कि कैसे रहते हो हम तो एक पल भी न रह पाये । मैं उससे कोई विवाद नहीं करता बस मुस्कुरा देता कहता हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है । यहाँ के बुद्धजीवी भी ऐसे मामलों में फेसबूक पर लिखकर अपनी ज्ञानता का परिचय दे देते हैं । आखिर स्वतन्त्रता के लिए मशाल लिए लोग भी वही कर रहे है जो कथित देशभक्त करते है । चाहे नासिर सर हो या ओमपुरी सर उनके भी बयान के साथ ऐसे ही लोगों ने हुटिंग की । आखिर आप खुद को कहाँ अलग कर पाये इस बात से । सोचिए उसे कैसा लग रहा होगा जिसने ये बयान दिया । अभी गांधी जी के 100 सत्याग्रह पर इतना लिख रहे हैं लेकिन व्यवहार में कितना है आज जान लिया कि हम कितने सहिष्णु हैं । अपने विचार के विपरीत एक बयान तक नहीं सुन सकते ।

खैर ये ड्रामा खत्म हुआ ! फिर किसी न किसी का बयान आएगा जिसके साथ सोशल मीडिया पर दिनभर खेलना है तब तक के लिए पढ़ते रहिये vichar bindu विचारों का ओवरडोज़ !

vicharbindu_logoलेखक : सत्यम कुमार झा

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