सामाजिक कार्य करते हुए अगर आपको पुलिस पकड़ कर हवालात में बंद करती है, और हवालात के बाहर कोई आपके समर्थन में नहीं दिखता है तो ये कमी हमारी है. हमें खुद को एक सामाजिक कार्यकर्ता कहने में शर्म आती है. जी हाँ जब. हमें दरभंगा थाना के हवालात में गिरफ्तार कर बंद कर दिया गया था, तो कुछ हमारे चुनिंदा साथियों को छोड़ कोई नहीं आया था हमसे मिलने. हम निराश दिल से हवालात के बाहर कनखियों में झाकतें हुये अपने आप को कोस रहें थे और इस बेबसी ने हमें अपने जिंदिगी में फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया.
हवालात के अंदर ही हमने तय कर लिया है कि जबतक हमारे लिए आंशु बहाने वाला हमारे माँ बाप के अलावे भी कोई और नहीं हो जाता, तब तक हम अपने आप को एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर असफल मानेंगे ! हमारी बातों का, हमारे द्वारा उठाये गए मुद्दें का समर्थन अगर हजारों लोग नहीं करते हैं, हजारों हाथ हम पर होने वाले जुल्म के खिलाफ नहीं उठते हैं तब तक तक हम चैन से नहीं बैठने वालें. उचित समय पर हम हर उस जुल्म का जबाब देंगे जो हम पर मिथिला के विकास के लिए उठाये गए कदम के कारण पिछले एक साल के दौरान हुआ.
चाहे पुलिस का अत्याचार हो, जनप्रतिनिधियों का बेरुखा रवैया हो या दरभंगा प्रशाशन द्वारा हम पर किया गया जुल्म, हर एक चीज का हिसाब समय आने पर लिया जायेगा. साथी दिल पर पत्थर रखकर, अपमान का घूंट पीकर हम पीछे हटने को मजबूर हुयें हैं. हमें कमजोर कहा गया, बुजदिल के विशेषण के नवाजा गया, डरपोक और पिटाई खा कर बैठ जाने वाला कहा गया, लेकिन हम फिर कहते हैं हम कर्तव्य पथ से विरक्त नहीं हुए हैं और न हमारा आत्मविश्वास कम हुआ है. हम लोटेंगे पूरी ताकत के साथ और सदियों से चली आ रही मिथिला के साथ भेदभाव के रवैया को जड़ से मिटा कर तथा विकास की एक नयी गंगा को बहाकर ही दम लेंगे.
लेखक: अविनाश भारतद्वाज ( समाजिक राजनितिक चिन्तक )
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