किसी अजनबी से प्रेम का हो जाना, इसकी पुष्टि करने के लिए अभी तक कोई संस्था ब्रह्माण्ड में नहीं है और न इसकी डिग्री नापने के लिए किसी भी तरह के यूनिट व् किसी प्रकार के बैरोमीटर का आविष्कार अभी तक नहीं हो पाया है फिर भी व्यक्ति अपने विवेक का उपयोग करके इस बेहद से कल्पनाशील भाव में अपनी जिंदगी या तो अपने प्रेम के साथ गुजार देता है नहीं तो विरह में अकेले रह जाता है और बहुत से केस में वो अपने शारीरिक जरूरतों के कारण समाज द्वारा अप्रूव्ड रिश्ते में खुद बाँध लेता है और कल्पना का गुब्बारा फोड़ देता है |
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प्रेम को मैं भी एक सुखद कल्पना मानने लगा हूँ , पहले मैं इसके प्रति बहुत गंभीर था लेकिन अब मैंने इसको कर लिया है क्रैक , मुझे लगता है प्रेम एक अनुभव देने का मैकेनिक्स है जिसमे पहले दो स्टेकहोल्डर होते है और बाद में जैसे जैसे ये बढ़ता रहता है , इसमें नए नए लोग अपना अनुभव शेयर करना शुरू कर देते है , फ्रेंड की फ्रेंड , फ्रेंड के बॉयफ्रेंड की फ्रेंड टाइप्स |

मुझे लगता है प्रेम को भारत में बहुत गंभीर और भारी बना दिया गया है , कारण शिक्षा का आभाव जिसके कारण एक पक्ष अपने वित्तीय इंडेपेंडेन्सी के कारण बहुत कुछ एक्स्प्लोर नहीं कर पाता है जो वो कर सकता था और एक बेहतर कल्पना और अनुभव को जी सकता था , लेकिन ऐसा हो नहीं पाता |
कोई प्रेम सबसे बेहतर नहीं होता , नए नए लोग आपको मिलते रहेंगे , एक उम्र आपको तय करना होगा , नए नए लोगो से मिलना होगा , अनुभव की भूख बढ़ानी होगी , तब जाकर कोई ऐसा प्रेम मिलेगा जो कल्पना से कम और सतह के करीब होगी , जीवन उसके साथ गुजारिये , शायद वो प्रेम और रिश्ता इम्मोर्टल हो |
कमिटमेंट ब्रह्माण्ड में काले धन के बाद सबसे बड़ा झूठ है , मौके के तलाश में हर कोई रहता है , मिल जाये तो एक्स्प्लोर भी कर लिया जाता है , ये सब बात क्लियर करके रखिये , जीवन आसान से सरल हो जाएगी |
आलेख : श्री धैर्यकाँत
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