काली रात ! बादलों ने पुरे आकाश को ढँक रखा है । हवा में एक अजीब सा सन्नाटा है । कमरे में बैठा अकेले अपने धुनों में मग्न कुछ सोच रहा था कि मोबाइल का घंटी घनघनाने लगा ।
उठ कर देखा तो स्क्रीन पर एक अनजाना नंबर फ़्लैश कर रहा था । मन ही मन सोचता हुआ फ़ोन को उठाया । उधर से हलकी सी आवाज आयी और फोन के इस साइड मैं आवाज को पहचानने का यत्न करने लगा । गौर से तीसरी बार आवाज सुनने पर एक जानी पहचानी आवाज कानों से टकराई । हाय हल्लो का दौर तो दूर की बात, हमने एक दुसरे का हाल चाल भी नहीं पूछा और बातें यूँ ही आगे बढ़ गयी ।
लेकिन एक पल में हमें इस बात का ऐहसास हो गया कि अब संबंध में वो गर्माहट नहीं रही । हमारी ठंडी बातें और हाँ हाँ करने का औपचारिकता का दौर, उसके तरफ से कुछ अपने नाक को ऊँचा रख कर बात बढ़ाई भी गयी तो वो सर्द हवाओं के तरह हमारे दिल को छु कर बिना उसे उद्धेलित किये निकल गयी । बातचीत का सिलसिला यूँ ही आगे बढ़ता रहा, उसके हर बात हर वाक्य मुझे तौलते रहें, हर कसौटी पर मैं कसा गया लेकिन खड़ा उतरने की बात तो थी ही नहीं जो कुछ नयापन मुझ में मिलता । भूतकाल में जिस कसौटी पर मैं कसा गया था, उसकी छाया का पिछा छोरने का सवाल ही नहीं था । सारी उन्मुकताता, आजादी, चाहतें दिलों में कैद हो कर रह गयी थी, तो मेरे बेस्वाद, बेजवान बातें बर्फ की तरह ठंडी ही रही ।
काले बादल की तरह रोमांच, रोमांस सब इस काले आसमान ने निगल लिया था और हमारी बांकी बची बातें उसे कहीं से भी अच्छा नहीं लग रही थी । रात का वो रोमांचक पल जिसे हम आखों ही आखों में काटा करते थे वो आज नींद में जाने को व्यग्र हो उठी थी और आपस की बातों की कंपन गहरी वेदना के ऐहसास को दिलों में लपेट कर सो जाना चाहती थी । कुछ भी तो नहीं बदला था उसका, वही रोद्र रूप, वही आरोप प्रत्यारोप का दौर और वही दोस्ती की चाह जिसकी छावं के ऐहसास में वो प्यार के कपोलें खिला अपनी दिल के अरमानों को बँटाना चाहती थी । लेकिन मैं तो कभी ऐसा था ही नहीं । वही रुखा, सुखा अपनों में रमा हुआ दिलों के तार बेजान गिटार सा झनझनाता हुआ खोया सा । तो फिर जम कर सुनाई, झललाई, गुस्साई और चली गयी । फिर कभी न फोन करने के वादे से साथ । आखों की नींद गायब हो चुकी थी, करबटें बदलते उन बीतें हुये पल को याद करते न जाने कब मैं भी नींद के आगोश में चला गया था ।
लेखक : अविनाश भरतद्वाज
wow thats a really think bcz new realtion is very very enjoy bt some time after kali rat ar only hu hu hu ki speak