इस DDCA के लड़ाई में मिथिला का विकास कहीं किसी कोने में दुबक कर रह गया । अरे आपको लड़ना ही था तो मिथिला के बंद पड़े चीनी मील के लिए लड़ते, सिचाई के लिए लड़ते, पलायन का मुददा उठाते. और नहीं कुछ तो दिल्ली आने वाले मिथिला के मजदूरो के बारे में सवाल जबाब करते वित मंत्री से । लेकिन इसे आपने पर्सनल लड़ाई बना अपने इलाके के गरीब जनता के साथ छल किया है और उनके स्थिती में सुधार लाने के एक स्वर्णिम अवसर को खो दिया है ।
सबको पता है कोर्ट कचहरी में कितना समय व्यर्थ होता है और ये क्रिकेट की राजनीती और पैसा की खनक आपको आम जनता के प्रश्नों से दूर कर देती है । और जब आप इस राजनीती में फंस जाते है तो आपके पास गरीब जनता के लिए समय का अभाव हो जाता है । और हमारे सांसद महोदय इन्हीं कामों में पिछले दस सालो से फसे हुए हैं । सीबीआई का रेड और दिल्ली के मुख्यमंत्री के दफ्तर का सील होना इसी का जीता जगाता उदहारण है ।
DDCA की राजनीती और भरस्टाचार से मिथिला के आम जनता को क्या लेना देना है । ये बात समझ में नहीं आता और न ही ये बात समझ में आ रहा है कि हमारे सांसद महोदय अपने पर्सनल लड़ाई में इतना समय क्यों व्यर्थ कर रहे हैं ।
बात करोड़ो के भ्रष्टाचार का हो या DDCA के घोटाले का, यही सब तो मिथिला में भी हो रहा है । सरकार में पग-पग पर घोटाला आपको नहीं दिखता है जो मिथिला के गरीब जनता के खून को जोंक के भातीं चुस्ती जा रही है और गरीबो को गरीब बना रही है ।
बड़े लोगो के आपसी रंजिश का असर आपको देखने को मिला जब दरभंगा के हिस्से में आया हुआ स्मार्ट सिटी का दर्जा किसी और शहर को दे दिया जाता है । और हमारे सांसद महोदय कुछ नहीं कर पाते हैं । दरभंगा शहर के विकास की चाह आहें भरती दम तोड़ देती हैं और हम अपने पिछरेपन पर अकेले आशुं बहाते रह जाते हैं । हमारे जनप्रतिनिधि आम जनता से कट कुछ खास लोगों के बीच अपने को समेंट लेते हैं और फिर विकास की बात उनके लिए कोई मायने नहीं रखता है ।
एक पिछरे इलाके के सांसद होने के नाते होना ये चाहिये था कि आप इन सब से अपने को दूर रखते और मिथिला के विकास पर धयान देते । लेकिन सत्ता के साथ होने के बाबजूद आपने अपने अहंकार के चलते मिथिलांचल वासीयों को जो ठगने का काम किया है, उसेके लिए यहाँ की जनता आपको कभी माफ़ नहीं करेगी ।
अविनाश भरतद्वाज ( समाजिक राजनितिक चिन्तक )
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