कुछ प्रेरक प्रसंग जो करेंगे आपका मार्गदर्शन


insprational story

कभी-कभी हम अत्यधिक ही विचलित हो जाते हैं. छोटी-छोटी बातें हमें दिग्भ्रमित कर देती है और हम बेवजह परेशान हो जाते है. ऐसे में कुछ प्रसंग हमें यथार्थ का बोध कराते  हैं, और हमारा पथ प्रदर्शित करते हैं. आइए पढ़ें…..

पहला प्रसंग 

एक बड़ा ही मजाकिया व्यक्ति था । इतना हँसमुख कि लोग उसका चेहरा देखते ही हँसना शुरू कर देते । एक ब़ार वह एक महफिल में लतीफ़ा सुना रहा था । लतीफ़ा बहूत ही मजेदार था ऊपर से सुनाने का उसका अनोखा अंदाज, कि सारे लोग पेट पकड़ कर हँसने लगे । बड़ी देर तक रह-रह कर हँसी छूटती रही । आख़िरकार, जब सब की हँसी बंद हुयी तो उस व्यक्ति ने फिर से लतीफ़ा सुनाना शुरू किया । इस ब़ार भी वही लतीफ़ा और सुनाने का अंदाज भी वेसा ही । लतीफ़ा खत्म हुआ तो सारे लोग नहीं, कुछ लोग ही हँसे । फिर उसने तीसरी ब़ार भी वही लतीफ़ा सुनाया । वह बार-बार सुनाता रहा, जब तक की लोगों ने उबकर हँसना ही छोड़ दिया । तब उस मजाकिया व्यक्ति ने बड़ी गम्भीर बात कही – “जब आपलोग एक ही लतीफ़े पर ब़ार-ब़ार नहीं हँस सकते, तो दुःखभरे प्रसंगों को लेकर ब़ार-ब़ार रोते और दुखी क्यों होते हैं?”


दूसरा प्रसंग 

एक बार एक उत्सुक शिष्य ने अपने गुरु से कहा, सारी दुनिया में जब लोग लड़ते हैं, बहस करते हैं तो चीखने-चिल्लाने लगते हैं । और साथ ही आँखे तरेरते हुए एक दुसरे के पास भी आ जाते हैं । यह बड़ी अजीब बात  है, पर ऐसा क्यों होता है । गुरु मुस्कुराये और बोले, ‘जब लोग लड़ते हैं तो उनके दिलों के बीच की दुरी बहूत बढ़ जाती है । इस बढ़ी हुई दुरी के कारण  ही उन्हें करीब आकर जोड़-जोड़ से चिलाने की जरूरत महसूस होती है ।’ फिर वो बोले, और प्रेम में इसका ठीक उल्टा होता है । ‘जब दो लोग प्रेम में होते हैं, तो उनके दिल पास-पास होते हैं, इसीलिए प्रेमी-प्रेमिका अक्सर फूस-फुसा कर बात करते हैं, धीरे बोलते हैं, इशारों में ही सब कुछ कह लेते हैं । जब वे प्रेम में एकाकार हो जाते हैं, तो बोलने की जरूरत भी नहीं रह जाती । तब वे बिना बोले ही एक-दुसरे की बात समझ जाते हैं, फिर उनके बीच भौतिक दुरी कितनी भी अधिक क्यों न हो ।’


तीसरा प्रसंग 

यूनान के महान दार्शनिक सुकरात का चेहरा-मोहरा अति साधारण श्रेणी का था । एक ब़ार एक व्यक्ति उनसे मिलने आया, जिसकी ख्याति चेहरे के लक्षण देखकर चरित्र बताने वाले ज्योतिषी के रूप में थी । उसने सुकरात के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा – ‘आपके नथुने बताते हैं की आप बहूत गुस्सेले हैं । माथा आपके सनकी होने की ओर इशारा कर रहा है’ यह सुनकर सुकरात के शिष्य सकते में आ गए । कुछ तो क्रोधित हो उठे । लेकिन सुकरात समान्य बने रहे । ज्योतिषी ने कहना जारी रखा – ‘आपकी ठुड्डी की संरचना आपके लालच के बारे में बता रही है । मुह को देख कर यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि आपके मन में आसामजिक किस्म के विचार आते रहते हैं ।’ सुकरात ने कहा ‘महोदय आपने बिलकुल ठीक बताया । ए सब अवगुण मेरे भीतर हैं । किन्तु आप एक गुण के बारे में बताना भूल गए । मेरा विवेक, यानि सही और गलत के निर्णय की क्षमता इन तमाम अवगुणों पर भारी परती है और इन्हें उभरने से पहले ही दबा देती है ।’

Previous पाँच बाल कविताएँ
Next गले में खराश हो तो आजमाइए ये नुस्ख़े

No Comment

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *