गाँव से लेकर शहर तक हर जगह आज बुजुर्गो की उपेक्षा हो रही है । ये हमें पाल-पोस कर बड़ा करते हैं, और जब हमारी उनको जरूरत होती है, तो उनसे दो पल बात करने का भी हमारे पास समय नहीं होता । हम अपने काम में इतने ही मशगुल हो गए हैं, की भूल ही गए है की हमारे “बुजुर्गो की क्या अहमियत है” हमें इनके अनुभवों से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है, हमें इस विषय पर चिंतन करने की आवश्यकता है । तो आइये इस प्रसंग से जाने
बुजुर्गो की अहमियत / Importance Of The Elderly
उस दिन घर में हरी साग सब्जीयों के महत्व पर एक आलेख पढ़ा गया, प्रभावित होकर सारा परिवार – श्याम , उसकी पत्नी, तीनों बच्चे सबने एक स्वर से मेंथी की सब्जी खाने पर जोर दिया । परन्तु बरामदे में बूढी माँ का किसी को ख्याल न आया । न उनका, न खाने में उनकी पसंद नापसंद का । लकिन जब बाजार से 1 kg मेंथी आ गयी और बारी आयी उसे काटने-छाटने की, तो मेंथी की पैरवी करने वाले बहाना बनाने लेगे – नोकरीपेशा, पत्नी सिरदर्द की, तो बच्चे कोर्से कम्प्लीट करने की बात करने लगे ।
हार कर श्याम ने बड़े आस से बाहर बैठी बूढी माँ को देखा । कम सुनने लेकिन सुब कुछ समझने की आदी, बुजूर्ग माँ ने चुपचाप श्याम के हाथ से टोकरी ले ली और उसके पत्ते तोड़ने लगी । “उनकी नजर ब़ार-ब़ार मेथी के डंटल पर चली जाती थी, जिन्होंने आपने ऊपर पत्तों को बड़ा किया था ।”
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